मोदी के पहले कार्यकाल में राठौड़ के पास खेल, युवा और सूचना प्रसारण मंत्रालय तो शेखावत के पास कृषि और मेघवाल के पास जल संसाधन मंत्रालय के राज्य मंत्री का जिम्मा रहा है। इन तीनों मंत्रियों का कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (
Amit Shah ) की निगाह में अच्छा रहा है। इसके साथ ही गजेन्द्र सिंह ने जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (
Cm Ashok Gehlot ) के पुत्र वैभव गहलोत को हराकर पार्टी की प्रतिष्ठा कायम की है।
वहीं इस बार बाड़मेर में कैलाश चौधरी ने दिग्गज नेता जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह (
manvendra singh ) को हराया है। इस सीट को भाजपा सबसे कमजोर मानकर चल रही थी। अब उन्हें भी मोदी ने मंत्री पद का जिम्मा दिया है। तीनों सांसदों को मंत्री बनाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका अहम रही है। खासतौर पर चौधरी के मामले में संघ के अड़े होने की जानकारी भी सामने आ रही है।
जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत : छात्रसंघ से संसद तक का सफर गजेन्द्र सिंह शेखावत 1992 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बने और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में सक्रिय रहे। आरएसएस की वित्तीय इकाई स्वदेशी जागरण मंच, जन कल्याण समिति में काम किया। 2014 में पहली बार जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री चंद्रेश कुमारी को 4 लाख 10 हजार वोट से हराया। सोशल मीडिया पर काम करने के तरीके से मोदी की गुड बुक में आए और सितम्बर 2017 में केंद्रीय कृषि एवम् किसान कल्याण मंत्री बने। 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश चुनाव संचालन समिति का संयोजक बनाया गया। इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव को 2 लाख 74 हजार से अधिक मतों से हरा कर लोकसभा पहुंचे।
मंत्री बनने का कारण
जोधपुर से मुख्यमंत्री गहलोत के पुत्र वैभव को हराया। साथ ही केन्द्र में मंत्री रहते हुए अच्छी छवि, कार्यकर्ताओं और लोगों से मिलनसार।
बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल : नौकरशाही से मंत्री बने
साधारण परिवार में जन्मे अर्जुनराम मेघवाल ने स्नातक और स्नातकोत्तर करने के बाद बीएसएनएल में टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी ज्वाइन की। इस दौरान 1980 में आरएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की और राजस्थान के विभिन्न जिलों में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में सेवाएं दी। बाद में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारी बने। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में नौकरी से स्वेच्छिक सेवानिवृति लेकर भाजपा में आए और बीकानेर लोकसभा से चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए। केन्द्र सरकार में वित्त व कम्पनी मामलात राज्य मंत्री, संसदीय कार्यमंत्री, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री रहे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीकानेर से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए है।
मंत्री बनने का कारण पूर्व नौकरशाह होने से सरकारी कामकाज की अच्छी समझ, वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री रहते हुए अच्छा काम किया। प्रधानमंत्री मोदी की पसंद माने जाते हैं।
बाड़मेर सांसद कैलाश चौधरी : हारी बाजी को बदला और बन गए मंत्री
कैलाश चौधरी ने 1998 में बालोतरा से वार्डपंच का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद पाटोदी में जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीता। 2008 में बायतु से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2013 में बायतु से विधायक चुने गए और किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष भी बने। 2018 के चुनावों में बायतु से विधायक चुनाव हार गए। इसके बावजूद 2019 में भाजपा ने उन पर भरोसा करते हुए लोकसभा का टिकट दिया और कैलाश 3 लाख 23 हजार 808 मतों से जीते।
मंत्री बनने का कारण संघ की पसंद के नेता और मानवेन्द्र सिंह जैसे नेता को चुनाव हराना। साथ ही जाट समाज को खुश करने की कवायद।