टेलीकम्युनिकेशन कम्पनियों का दावा है कि चोरी का माल नेपाल और बांग्लादेश के बाद अब यूक्रेन में बेचा जा रहा है। दिल्ली व राजस्थान पुलिस भी यह स्वीकार कर रही है, लेकिन वहां तक पुलिस अभी नहीं पहुंच पाई है।
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टावर पर लगे होते हैं लाखों के उपकरण
टावर पर चोर आरआरयू जैसे उपकरण चुराने के लिए चढ़ रहे हैं। आरआरयू (रिमोट रेडियो यूनिट) की एक यूनिट ही दो से तीन लाख रुपए की होती है, जो एक टावर पर तीन से पांच तक हो सकती हैं। आरआरयू पन्द्रह से तीस मीटर की ऊंचाई के बीच लगाए जाते हैं। आरआरयू का उपयोग फोर-जी व फाइव-जी नेटवर्क के लिए ही होता है। इस कारण इसकी चोर मार्केट में भी डिमांड रहती है। आरआरयू की तरह ही बीबीयू (बेसबैंड यूनिट) की भी चोरी हो रही है। यह टावर के फाउंडेशन के पास लगती है, जिसकी कीमत चार से पांच लाख रुपए होती है।
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कम्पनियों का दावा: युद्ध के बाद बढ़ी डिमांड
नेपाल और बांग्लादेश में ये उपकरण इस कारण बिक रहे थे कि वहां फोर-जी व फाइव-जी तकनीक नई है। भारत से चोरी किया माल वहां पहुंचाना भी आसान है। अब चोरों को नया मार्केट यूक्रेन के रूप में मिला है। वहां युद्ध के चलते नियमित व्यापार बाधित है। ऐसे में जरूरत के मुताबिक तकनीकी उपकरण भी नहीं मिल रहे। चोर गिरोह वहां नई तकनीक वाले आरआरयू व बीबीयू स्क्रेप के रूप में पहुंचा रहे हैं। पड़ताल में यह तथ्य आने के बाद टेलीकम्युनिकेशन कम्पनियों ने चिंता जताने के साथ सुरक्षा एजेंसियों से मदद मांगी है।
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दिल्ली एनसीआर के बाद अधिक चोरियां राजस्थान में
टावरों पर चोरी की वारदात सबसे अधिक दिल्ली एनसीआर इलाके में हो रही हैं। इसी तरह राजस्थान में भी कुछ माह में अचानक वारदात बढ़ी हैं। आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में जहां 400 से अधिक वारदात हुई। वहीं, 2023-24 में यह संख्या 1750 से अधिक पहुंच गई। इसी तरह वर्ष 2024-25 में अभी तक करीब आठ सौ वारदात हो चुकी है। पुलिस ने कुछ मामलों में एफआईआर दर्ज की है तो कुछ में परिवाद ही दर्ज किया है।
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