इस तरह होगा काम
जयपुर, जोधपुर, अजमेर, उदयपुर व कोटा विकास प्राधिकरण को 100 हेक्टेयर जमीन चिह्नित करनी है। बीकानेर, अलवर, भीलवाड़ा के नगर विकास न्यास को 30 से 50 हेक्टेयर जमीन चिह्नित कर प्रोजेक्ट तैयार करना होगा। यह भी पढ़ें
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यूं होगी अवाप्ति
1- खातेदारों को समझाइश से भूमि लेने के लिए तैयार किया जाएगा। मुआवजे के तौर पर यथासंभव अधिकतम 45 प्रतिशत तक विकसित भूमि मिलेगी। 2- जहां खातेदार की मूल भूमि होगी, यथासंभव उसी में से विकसित भूमि आवंटित की जाएगी। ऐसा नहीं होने पर सबसे निकट की भूमि खातेदार को आवंटित की जाएगी। 3- सड़क, सुविधा क्षेत्र, ईडब्ल्यूएस व एलआईजी वर्ग की जमीन आरक्षित करने के बाद 10 फीसद भूमि संबंधित निकाय को मिलेगी। मौके की परिस्थितियों और खातेदारों की सहमति के आधार पर इस अनुपात में बदलाव हो सकता है।