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निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल के सामने एबीवीपी, एनएसयूआई के अलावा एक राज्य मंत्री की बेटी भी उम्मीदवार थे। नागैर के छोटे से गांव धामणिया के निर्मल चौधरी राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पद तक पहुंच गए हैं। निर्मल की रात-दिन की मेहनत और उसके जुझारूपन ने ही उसे आज इस मुकाम पर पहुंचा दिया। यह भी पढ़ें
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साधारण परिवार में जन्मे निर्मल के पिता दयालराम चौधरी पेशे से सरकारी अध्यापक हैं। वहीं उनकी माता रूपादेवी साधारण ग्रहणी है। साथ ही मां रूपादेवी खेतीबाड़ी भी देखती हैं। निर्मल भी समय मिलने पर मां को खेती के काम में हाथ बंटाते हैं। यह भी देखें: … और वो उन्हें देखकर हाथ जोड़कर जमीन पर दण्डवत हो गया, देखें वीडियो सर्वसमाज को लेकर साथ चले
छात्रसंघ चुनाव में इस बार शुरू से जातिवाद हावी रहा है। एनएसयूआई से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्मल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरा था। निर्मल ने सर्वसमाज को साथ लेकर चले। उनके सर्वसमाज अभियान और सोशल मीडिया पर पकड़ ने ही उन्हें अंत में विजय दिलाई।
छात्रसंघ चुनाव में इस बार शुरू से जातिवाद हावी रहा है। एनएसयूआई से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्मल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरा था। निर्मल ने सर्वसमाज को साथ लेकर चले। उनके सर्वसमाज अभियान और सोशल मीडिया पर पकड़ ने ही उन्हें अंत में विजय दिलाई।
यह भी देखें: महारानी में फिर गूंजा: या छोरी तो लक्की छै, जीत याकी पक्की छै ऐसे छाए छात्राओं के बीच निर्मल चौधरी अपने काम-काज और हर किसी की मदद के चलते छात्र—छात्राओं में काफी पॉपुलर रहे हैं। निर्मल के प्रचार अभियान में छात्राओं का भी बेहद योगदान रहा है। वहीं निर्मल अपनी पर्सनलिटी डवलपमेंट का भी विशेष ध्यान रखते हैं।
यह भी देखें: Video: यार बड़ा न परिवार बड़ा, जो मुसीबत में खड़ा वो सबसे बड़ा: निहारिका भाखर हैं निर्मल के राजनैतिक गुरु निर्मल चौधरी को छात्र राजनीति में लाने का श्रेय लाडनूं विधायक मुकेश भाखर को जाता हैं। भाखर ही चौधरी के राजनीतिक गुरू बताए जाते हैं। भाखर का राजस्थान यूनिवर्सिटी में भी दबदबा रहा है।