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उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वन्यजीव विभाग की घोर लापरवाही के चलते राज्यपक्षी ( State bird of Rajasthan ) गोडावण की संख्या जो कभी 50 हजार हुआ करती थी, वह घटकर 50 से भी कम रह गई है। उन्होंने कहा कि गोडावण की 100 से कम संख्या होने पर उसके राज्यपक्षी का दर्जा छिन सकता है। जाजू ने कहा कि गोडावण विलुप्त होने का कारण राज्य में सरकारी कारिंदों की मिलीभगत के चलते चरागाह भूमि पर अतिक्रमण के साथ ही उद्योगों, आवासीय योजना के लिए दिया जाना है। इसके अलावा अवैध खनन तथा शिकार भी बड़ा कारण है।
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उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में तत्कालीन गहलोत सरकार ( ashok gehlot govt ) ने इसके लिए परियोजना बनाई थी और इसके लिए बजट भी आवंटित किया था, परंतु अधिकारियों की उदासीनता से कार्य आगे नहीं बढ़ा। प्रदेश में जैसलमेर , जोधपुर, अजमेर, कोटा, बाड़मेर, गोडावण के घर माने जाते हैं। गोडावण वन्यजीव संरक्षण कानून की प्रथम अनुसूची में शामिल है। गोडावण के शिकार पर सात वर्ष का कारावास और पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। जाजू ने बताया कि वर्तमान में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में 70 से भी कम गोडावण बचे हैं।