दरअसल, किरोड़ी लाल मीणा ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ऐसे लीपापोती से काम नहीं चलेगा, पांच मंत्रियों की एक कमेटी बना दी है, अब उसका क्या अर्थ है, जब एसओजी यह कह चुकी है कि परीक्षा रद्द होनी चाहिए। एडिशनल एडवोकेट जनरल ने राय दे दी कि परीक्षा रद्द होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के कई ऐसे फैसले हैं कि अगर परीक्षा से पहले पेपर लीक हो गए हैं, तो परीक्षा रद्द होनी चाहिए, पर पता नहीं परीक्षा क्यों रद्द नहीं कर रहे हैं।
रद्द करने के लिए CM को कह चुका- किरोड़ी
एक अन्य सवाल में किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि, “मैं मुख्यमंत्री को बराबर परीक्षा रद्द करने के लिए कह रहा हूं, तीन बार मुख्यमंत्री को परीक्षा रद्द करने के लिए कह चुका हूं। कैबिनेट की मीटिंग में मुख्य रूप से इस लिए गया था कि परीक्षा रद्द होनी चाहिए। मुख्यमंत्री कहा भी था कि समय पर करेंगे। लेकिन, अब मंत्रियों की कमेटी बैठा दी गई है। समझ से बाहर है कि मुख्यमंत्री ऐसा क्यों कह रहे हैं।” यह भी पढ़ें
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फर्जी डॉक्टर का भी उठाया मामला
आगे किरोड़ी लाल ने कहा कि फर्जी डॉक्टर बनाने के मामले में मेडिकल काउंसिल रजिस्ट्रार को सस्पेंड कर दिया। लेकिन, उनको हथकड़ी लगाकर बाजार में क्यों नहीं घुमाते। जनता को पता लगे कि वे जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सस्पेंड क्या होता है। सस्पेंशन तो कोई पनिशमेंट नहीं है? ऐसे लीपापोती से काम नहीं चलेगा। आम गरीब का तो आप हथकड़ी लगाकर जुलूस निकाल देते हो, भेदभाव सही नहीं है।टीकाराम जूली ने सीएम पर साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अपने एक्स हैंडल पर लिखते हुए कहा कि, “जब सत्ता की चाबी पर्ची के द्वारा डिसाइड होती है जब ऐसे ही निर्णय लिए जाते हैं। सरकार के एक मंत्री के द्वारा अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री के ऊपर लीपापोती व उसके निर्णय की क्षमता पर सवाल उठाए जाए तो आप समझ सकते हैं कि सरकार अधिकारी चला रहे हैं या फिर मुख्यमंत्री जी ? राजस्थान सरकार द्वारा घोषित समिति में किसी भी सदस्य के पास भर्ती परीक्षा या भर्ती परीक्षाओं संबंधित अपराध बाबत कोई अनुभव नहीं है। समिति में ना तो रिटायर्ड जज, प्रॉसिक्यूटर, पुलिस अधिकारी, RPSC का मेंबर सदस्य तक नही है। यहां तक की किरोड़ी लाल जी को भी समिति का सदस्य नहीं बनाया गया इसके क्या कारण हो सकते हैं ?
मुख्यमंत्री जी की बातों से ना तो विधायक ना मंत्री कोई भी संतुष्ट नहीं है तो न्याय और नौकरी के भरोसे में बैठे प्रदेश के युवा और उनके अभिभावक सरकार पर क्या भरोसा करेंगे? क्या यह व्यक्तितंत्र है जहां सत्ता में बैठे लोग मनमानी से निर्णय लेंगे? ध्यान रहे यह लोकतंत्र है और जनता ही संप्रभु है।
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