सांसद मन्नालाल रावत ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा कि नए जिलों (New Districts) के पुनर्गठन पर विचार किया जा रहा है, ऐसी चर्चाओं से सलूम्बर जिले की जनता में असमंजस और चिंता उत्पन्न हो रही है। यदि सलूम्बर जिले के पुनर्गठन पर विचार किया जाता है तो यहां की सांस्कृतिक एकता और सामाजिक ढांचे के साथ ही प्रशासनिक सुगमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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आस-पास के क्षेत्र भी सलूम्बर जिले में जोड़ें जाए- सांसद
अतः सलूम्बर जिले को यथावत रखा जाए आमजन की सुविधा के लिए आस-पास के कुछ अन्य क्षेत्र भी सलूम्बर जिले में जोड़ें जाए। जिससे क्षेत्र के समेकित विकास एवं सामाजिक समृद्धि की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की राह सुगम हो सके। सलूम्बर जिला घोषित होने के बाद क्षेत्र में शासकीय कार्य निस्तारण में गति देखने को मिली है जो क्षेत्रवासियों के साथ ही शासन के लिए भी हितकारी है। डॉ रावत ने पत्र में आगे लिखा कि सलूम्बर जिला एक जनजाति क्षेत्र है। यहां 70 प्रतिशत से अधिक जनजाति निवास करती है। यह जनजाति क्षेत्र आर्थिक एवं शिक्षा की दृष्टि से भी तुलनात्मक रूप से पिछड़ा हुआ है ,यह क्षेत्र अति दुर्गम है। क्षेत्र की समस्याओं के लिए पूर्व में क्षेत्रवासियों को लगभग 90 किलोमीटर दूर उदयपुर जिला मुख्यालय जाना पड़ता था सलूम्बर जिला बनने से क्षेत्र में लोगों को प्रशासनिक सुविधाएं अपने निकट ही प्राप्त होने लगी है।