वहीं प्रदेशभर में 52 डिपो के मुख्य प्रबंधक एक दिन के आकस्मिक अवकाश पर चले गए। मुख्यालय पर सिर्फ सरकार की ओर से प्रतिनियुक्ति पर ल गाए गए अधिकारी और सेवानिवृत कर्मचारी भी काम पर रहे। प्रदेश में 19 हजार कर्मचारियों में से तकरीबन महज 150 कर्मचारी ही गुरुवार को काम पर रहे। सुबह 10 बजे सभी कर्मचारी रोडवेज मुख्यालय आए तो सही, लेकिन अंदर नहीं गए और बाहर खड़े होकर सरकार व परिवहन मंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
इसके बाद कर्मचारियों ने गार्ड से चाबी ले ली और कार्यालय के गेट का ताला नहीं खुलने दिया। इस दौरान रोडवेज एमडी सांवरमल वर्मा, ईडीटी यूडी खान, ईडीए एमएस रतनू आ गए, पर कर्मचारियों ने ताला नहीं खोला। डेढ़ घंटे तक अधिकारी बाहर ही खड़े होकर दफ्तर खुलने का इंतजार करते रहे, लेकिन बाद में उन्हें लौटना ही पड़ा। पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे व मुख्यालय के ताला खुलवाने के लिए कर्मियों से बात की।
रोडवेज सुरक्षाकर्मियों के जरिए पुलिस ने ढाई घंटे बाद ताला खुलवाया। इसके बाद रोडवेज एमडी और अन्य अधिकारी मुख्यालय पहुंचे और काम शुरू किया। इधर, हड़ताल के चलते चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी काम पर नहीं आए। दोपहर बाद आला अधिकारियों के ड्राइवरों ने भी कर्मचारियों के समर्थन में आकर अधिकारियों को वाहनों की चाबी सौंप दी।