अब जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिंडेट डॉक्टर्स ने भी निजी चिकित्सकों के आंदोलन को समर्थन दे दिया है। मंगलवार सुबह आठ बजे से रेजिडेंट ने संपूर्ण कार्य बहिष्कार का एलान किया है। वहीं आरएमसीटीए,एमसीटीएआर व सेवारत चिकित्सा संघ ने आंदोलन को समर्थन दिया है। तीनों संगठनों ने आज दो घंटे पेन डाउन हड़ताल कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया है। जिसके चलते सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए परेशानियां बढ़ गई हैं।
इससे पहले सोमवार सुबह दस बजे जेएमए परिसर में डॉक्टर्स एकत्रित हुए। प्रदेशभर के डॉक्टर्स जयपुर में विधानसभा का घेराव करने के लिए पहुंचे। जेएमएम में बैठक के बाद डॉक्टर्स ने रैली निकाली। यह रैली त्रिमुर्ति सर्किल होते हुए विधानसभा की तरफ बढ़ी। स्टेच्यू सर्किल पर पुलिसकर्मियों ने डॉक्टर्स को रोक दिया। डॉक्टर्स को विधानसभा की तरफ जाने से मना किया गया। लेकिन डॉक्टर्स नहीं माने। डॉक्टर्स ने बेरिकेटिंग को तोड़ने का प्रयास किया। डॉक्टर और पुलिसकर्मियों में झड़प हुई। जिसकी वजह से कई डॉक्टरों को चोट लगी। प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ विजय कपूर ने कहा कि अब डॉक्टर्स वापस घर नहीं जाएंगे और तब तक बैठे रहेंगे, जब तक बिल निरस्त नहीं हो जाता है।
चिकित्सा मंत्री से वार्ता, रही विफल..
निजी अस्पतालों की ओर से नो टू आरटीएच की मांग की जा रही है। निजी अस्पतालों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस बिल में कोई संशोधन भी नहीं चाहिए। किसी भी तरीके से यह बिल नहीं चाहिए। इस बात को लेकर पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को विधानसभा भेजा गया। प्रतिनिधिमंडल में डॉ. विजय कपूर, डॉ. राकेश कालरा, डॉ. विजय पाल यादव, डॉ. कमल सैनी, डॉ. सुनील गर्सा शामिल रहें। प्रतिनिधिमंडल ने चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा से बात की। जहां सिर्फ बिल को निरस्त करने के लिए कहा। इसके अलावा कोई बात नहीं की। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल वापस आ गया।
प्रदेश के सभी निजी अस्पताल बंद, मरीज परेशान
प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में 2500 से ज्यादा निजी अस्पताल बंद है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बंद का असर देखने को मिल रहा है। निजी अस्पतालों में मरीजों को इलाज नहीं मिलने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निजी अस्पताल बिल के विरोध में अनिश्चितकाल के लिए बंद है।