आरोपियों ने कोचिंग संस्थान में 31 अक्टूबर को एडमिशन लिया था। इसके बाद कोचिंग के पास ही स्थित करणी छात्रावास में रहकर राजू ठेहट की रैकी करने लगे। राजू ठेहट के घर के बाहर जूस की दुकान है। रैकी के लिए दिन में दो से तीन बार वहां जूस पीने आते थे। वह राजू ठेहट पर लगातार नजर रख रहे थे। पुलिस ने कोचिंग में लिए प्रवेश के आधार पर उनकी पहचान कर तलाश के लिए टीमें रवाना की है।
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यों दागी गोलियां
बदमाश कोचिंग की टी-शर्ट पहने हुए थे। ऐसे में उन पर जरा भी शक नहीं हुआ। अपराधी छात्र के रूप में उसके पास पहुंचे। पहले उसके साथ फोटो खिंचवाने का नाटक किया। इसी दौरान ठेहट पर तीन फायर किए गए। ठेहट वहीं गिर गया। इसके बाद बदमाश वहां से हट गए, फिर उसके पास गए और फायर किए।
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वसूली, वर्चस्व और प्रतिशोध बना ठेहट की हत्या कारण
आनन्दपाल एनकाउंटर के बाद भी उसकी गैंग ने शुरुआत में लॉरेंस विश्रोई और काला जठेड़ी से सम्पर्क फिरौती के साथ अपने वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश की। करीब ढाई साल पहले आनन्दपाल गैंग की लेडी डॉन अनुराधा ने कुचामन में एक सट्टा कारोबारी सुनील शर्मा से व्हाट्स अप कॉलिंग के जरिए फिरौती मांगी थी। जब सुनील ने फिरौती नहीं दी तो अनुराधा ने अपने गुर्गों को भेजकर उसके घर फायरिंग करवाई। हालांकि कुचामन में फायरिंग के मामले में अनुराधा को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन इससे पहले आनन्दपाल की मौत के बाद अनुराधा खुद काला जठेड़ी के साथ रहने लगी।