Kirodi Lal Meena : जयपुर। लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के हारने पर मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने गुरुवार को आखिरकार इस्तीफा दे दिया है। लेकिन, क्या उनके मंत्री पद छोड़ने की पीछे सिर्फ बीजेपी की हार ही है या फिर और भी कुछ कारण है। दरअसल, कई मुद्दे ऐसे रही हैं जिनकी वजह से किरोड़ीलाल मीना नाराज चल रहे थे। हालांकि, उन्होंने कभी खुलकर ऐसा कुछ नहीं कहा, लेकिन गुरुवार को उनके राजनीति पर दिया गया बयान कुछ ऐसा ही संकेत देता है।
मानसरोवर में गुरुवार को आयोजित शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के 82वें प्राकट्य महोत्सव के दौरान किरोड़ी लाल मीना सार्वजनिक मंच से अपना इस्तीफा देने का एलान किया था। किरोड़ी लाल मीना ने कहा था कि आज राजनीति राजधर्म से विमुख हो गई है और भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई है। राजनीति में बहुत बुराइयां आ रही हैं और अब उद्योग बन गई है। जनसेवा से भटककर स्वयं की सेवा तक सिमट गई है।
इसलिए नाराज चल रहे थे किरोड़ी मीना
दरअसल, समर्थक चाहते थे कि किरोड़ी मीना डिप्टी सीएम बने। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका था। भजनलाल सरकार में किरोड़ी मीना को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। लेकिन, मंत्री बनने के बाद हुए विभागों के बंटवारे से वे खुश नहीं थे। उन्हें कृषि विभाग दिया, लेकिन कृषि विपणन नहीं मिला। ग्रामीण विकास दिया, लेकिन पंचायतीराज विभाग 5 मंत्रियों में बांट दिया।
किरोड़ी मीना के समर्थक लगातार उप मुख्यमंत्री नहीं बनाने पर मंत्रिमंडल में नहीं रहने के लिए दबाव बना रहे थे। इसके अलावा दौसा लोकसभा सीट से किरोड़ी अपने भाई जगमोहन को टिकट दिलवाना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बन पाई थी। इसकी वजह से भी किरोड़ी मीना और उनके समर्थकों में नाराजगी थी।
…मन टूट गया : मीना
किरोड़ी ने इस्तीफे का ऐलान करने के बाद पत्रकारों से कहा कि मेरी कई जिलों में पकड़ थी। उन इलाकों में पार्टी को जिता नहीं सका। इससे मेरा मन खट्टा पड़ गया, मन टूट गया। उन्होंने कहा वे 5 जून को ही इस्तीफा दे चुके हैं। मुख्यमंत्री से भी मिले, उन्होंने मना किया। मेरी सीएम और संगठन से कोई नाराजगी नहीं है। राष्ट्रीय महामंत्री ने मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन मुलाकात नहीं हुई। दिल्ली जाकर बुलाने पर जल्द मिलूंगा। सनातन धर्म की परम्परा का पालन मैंने किया है। आगे भी जनता के मुद्दे उठाता रहूंगा।