इसी क्रम में अब भाजपा ने राजस्थान में वैक्सीन बर्बादी के सम्बन्ध में केंद्रीय स्तर पर जांच करवाए जाने की पुरज़ोर मांग उठानी शुरू कर दी है। प्रदेश के भाजपा नेता केंद्र सरकार से इस गंभीर मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने की अपील कर रहे हैं। वैक्सीन बर्बादी से जुडी ख़बरों को केंद्र सरकार के साथ-साथ भाजपा आलाकमान के भी संज्ञान में लाया जा रहा है ताकि राज्य की गहलोत सरकार पर चौतरफा दबाव बनाया जा सके।
केंद्रीय दल भेजकर करवाई जाए जांच
विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष व् वरिष्ठ भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से पत्राचार कर राजस्थान प्रदेश में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर पत्राचार के माध्यम से मौजूदा स्थिति से अवगत करवाया है। राठौड़ ने विभिन्न मीडिया माध्यमों के समाचारों का हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्री से केंद्रीय जांच दल को प्रदेश भेजकर जांच करने और वैक्सीन बर्बादी पर नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की है।
राठौड़ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को अपने पत्र में लिखा है कि वैश्विक महामारी कोरोना संकट के दौरान राज्य सरकार के लचर प्रबंधन के कारण वैक्सीन की बर्बादी हो रही है। इसे रोकने के लिए और कोरोना से हुई वास्तविक मौतों की जांच के लिए तत्काल प्रभाव से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से विषयेषज्ञों या उच्चाधिकारियों का दल भेजा जाए।
राठौड़ ने संभावित तीसरी लहर के मद्देनज़र राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक रणनीति बनाने और समुचित कोरोना प्रबंधन करने के लिए मार्गदर्शित करने का बह आग्रह किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जता चुके हैं चिंता
राजस्थान प्रदेश में वैक्सीन बर्बादी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन पिछले दिनों चिंता जता चुके हैं। उन्होंने बाकायदा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा को पत्र लिखकर वैक्सीन की बर्बादी रोकने की अपील की थी। इस बारे में उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर भी जानकारी साझा की थी।
केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने डॉ रघु शर्मा को लिखे पत्र में विभिन्न ज़िलों से कोरोना वैक्सीन की बर्बादी की ख़बरों को गंभीरता से लेकर जांच करवाने का आग्रह किया था। वहीं वैक्सीन बर्बादी रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर योजना बनाने की नसीहत दी थी। यही नहीं राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए डॉ हर्षवर्धन ने ये भी कहा कि एक-एक वैक्सीन की बर्बादी होने का अर्थ एक व्यक्ति को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने में अक्षमता है। सभी राज्यों व केंद्र-शासित प्रदेशों को ज़ीरो वैक्सीन वेस्टेज को अपना लक्ष्य बनाना होगा। इसके लिए दायित्वपूर्ण व्यवहार ज़रूरी है।
… इधर ‘सरकार’ थपथपा रही खुद की पीठ
प्रदेश में वैक्सीन बर्बादी को लेकर हो रहे ‘हो-हल्ले’ के बीच राज्य की गहलोत सरकार पूरे भारतवर्ष में सबसे कम वेस्टेज के मामलों में अग्रणी राज्यों में शामिल होने को लेकर खुद की पीठ थपथापा रही है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा लगातार कह रहे हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीन का 10 प्रतिशत तक वेस्टेज अनुमत है जबकि राजस्थान में वैक्सीन वेस्टेज 18 से 44 वर्ग में शून्य और 45 से अधिक उम्र में मात्र 2 प्रतिशत ही है।
गहलोत सरकार की ये दलीलें
– 8 जिलों में वैक्सीनेशन के दौरान वेस्टेज माइनस में रहा
– इन जिलों में एक भी डोज वेस्टेज नहीं होने दिया, बल्कि एक वाइल में मौजूद अधिकतम 11 डोज लगाई गई
– प्रदेश के अन्य जिलों में भी वेस्टेज का प्रतिशत शून्य तक लाने के प्रयास किए जा रहे हैं
– कई ज़िलों में तो एक वाइल में निर्धारित मात्रा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन किया गया
– निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार वाइल को एक बार खोलने के बाद मात्र 4 घंटे तक ही उसका उपयोग किया जा सकता है, यदि 8 व्यक्तियों का वैक्सीनेशन हो जाए और 4 घंटे तक कोई व्यक्ति वैक्सीनेशन के लिए नहीं आए तो शेष वेस्टेज का हिस्सा माना जाता है।
– केंद्र सरकार के बायोमेडिकल वेस्ट मैनजेमेंट नियमों के अनुसार यूज्ड, एक्सपायर्ड एवं डिस्कार्डेड वाइल्स का निस्तारण किया जा रहा है