उपचुनावों को फतह करने की रणनीति शीर्ष स्तर पर उस समय ही बनना शुरू हो गई थी जब भाजपा हरियाणा की चुनावी रणनीति तय करने में जुटी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लम्बे समय से चुनावों को जातिगत बंधनों से मुक्त करने की कवायद में जुटे थे। इसके लिए पार्टी ने पीएम के निर्देश पर युवा, किसान और महिलाओं को फोकस करते हुए प्रदेश की सातों सीटों पर चुनाव प्रचार किया और इसका परिणाम भाजपा के पक्ष में आए।
जीत की कहानी के कुछ मजबूत पक्ष
-डबल इंजन सरकार से विश्वास बना कि प्रदेश हित के रुके हुए बड़े काम होंगे। -टिकट चयन में जीत सकने वालों को ही वरीयता दी और बगावत समय रहतेे थामी। -जहां जीतने की उम्मीद नहीं थी, वहां भी पूरा जोर लगाया। -एकजुट होकर चुनाव लड़ा, कहीं भी यह संदेश नहीं गया कि पार्टी एकजुट नहीं है। -चुनाव को जातिगत राजनीति की जगह विकास के मुद्दे पर ला खड़ा किया।
-कार्यकर्ताओं में निराशा नहीं आने दी।
बिजली-रोजगार के वादे ने दिखाया असर
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और इसके बाद सबसे ज्यादा फोकस प्रदेश की बड़ी समस्याओं पर रहा। इसमें किसानों को दिन में बिजली, समय पर पानी, युवाओं को रोजगार जैसे मुद्दे थे। सूत्रों की मानें तो पीएम नरेन्द्र मोदी से मिले निर्देश के तहत ही भजनलाल सरकार ने किसानों को दिन में बिजली देने का वादा करते हुए ऊर्जा क्षेत्र में कई काम शुरू किए। सीएम भजनलाल शर्मा अपनी चुनावी सभाओं में यह जरूर कहते कि वे किसानों को दो से तीन साल के अंदर-अंदर दिन में बिजली देंगे, जिससे उन्हें रात में परेशान नहीं होना पड़ेगा। युवाओं को रोजगार देने का भी वादा किया। यह भी पढ़ें