महानिदेशक पुलिस, साइबर क्राइम, डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि प्रदेश में साइबर ठगी के मामलों के बारे में नागरिकों को जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न जागरूकता अभियान जिला पुलिस अधीक्षक, साइबर थानों, राजस्थान पुलिस के सोशल मीडिया हैंडिल के जरिए चलाए जा रहे हैं। इनमें लोगों को ठगी के नए तौर तरीकों के बारे में आगाह करते हुए शिक्षित किया जाता है।
महानिदेशक डॉ मेहरड़ा ने बताया कि साइबर ठगों द्वारा साइबर अपराध का नया तरीका खोज निकाला है। इसमें अपराधी आमजन को आईबी, सीबीआई, इंटरपोल और इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C) का अधिकारी बनकर फोन कर कहते है “आपके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है”। गिरफ्तारी का भय दिखाकर मामले को रफा-दफा करने का प्रलोभन देकर रुपए ऐंठने का प्रयास किया जाता है।
डॉ मेहरड़ा ने बताया कि पीड़ितों द्वारा आनाकानी करने पर इन जांच एवं सुरक्षा एजेंसियों के नाम से फर्जी डिजिटल दस्तावेज तैयार कर उनके नाम से नोटिस, गिरफ्तारी वारंट आदि भेजे जाते है। जिसमें 24 घंटे के अंदर जवाब देने की बात कही जाती है। 24 घंटे में जवाब न देने पर पीड़ितों के खिलाफ पुलिस थाने में कार्रवाई एवं नेशनल रजिस्टर ऑफ माइनर सेक्स ऑफेंडर व मीडिया के पास प्रकरण भेज दिए जाने की धमकी दी जाती है। साथ ही साइबर ठगों द्वारा डिजिटल जाली दस्तावेजों में जांच एजेंसियों के ‘लोगो’ व जाली हस्ताक्षर कर पॉक्सो एक्ट, चाइल्ड़ पोर्नोग्राफी एवं आईटी एक्ट से संबंधित अपराधों का भय दिखाकर आमजन को साथ साइबर धोखाधडी का प्रयास किया जाता है।
डॉ. मेहरड़ा ने कहा कि साइबर ठगों द्वारा जारी फर्जी डिजिटल नोटिस के भय से पैसा जमा नहीं कराए। ऐसे बहुत से फर्जी ईमेल/नोटिस जिसमें आईबी, सीबीआई, इंटरपोल, इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C) एवं साइबर अधिकारी होने का दावा किया जाकर पैसे जमा करवाने की धमकी दी जाती है, उनके बारे में सर्तकता बरतें। ऐसे फर्जी प्रकरणों में आमजन डरकर पैसा जमा करवाने की बजाय संबंधित पुलिस थाना/साइबर थाना, साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करवाएं।