सनातन कभी विष नहीं फैलाता
उन्होंने कहा कि सनातन कभी विष नहीं फैलाता, लेकिन हमें आदिवासियों के धर्म परिवर्तन के खतरे से सावधान रहने की जरूरत है। यह देश की राजनीति को बदलने वाला है। धर्म परिवर्तन संस्थागत और सुनियोजित षड्यंत्र के तरीके से हो रहा है। शुगर-कोटेड फिलॉसफी बेचकर और लालच देकर आदिवासियों में घुसपैठ की जा रही है, इसे रोकने के लिए तीव्र गति से काम करने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने गुरुवार को जयपुर के दशहरा मैदान में आयोजित हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला के उद्घाटन समारोह में यह बात कही।
हमारे दर्शन को दुनिया अपना रही : धनखड़
उन्होंने कहा कि आज के दिन भारत एक बड़ी लीड ले रहा है। हमारे दर्शन को दुनिया अपना रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना सनातन धर्म के सार को दर्शाती है, वहीं हमारी सभ्यता मानव तक सीमित रहने के बजाय सभी जीवों के कल्याण की बात करती है। मेरा जीवन दूसरों की सेवा में खप जाए, यह हमारी भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत की कमी निकालने की कोशिश करती रहती है और इसी के अंतर्गत कहा जा रहा है भारत में दस में से चार लोग दूसरों की सेवा में व्यस्त रहते हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह आंकड़ा 40 प्रतिशत तक सीमित नहीं है, कहीं ऊंचा है। हम तो अपने तनाव की परवाह किए बिना संकट में दूसरों का सहारा बनते हैं। आक्रमणकारी आए, विदेशी ताकतें आईं, उनका शासन रहा फिर भी हमारे सेवा संस्कार में कोई कमी नहीं रही। कोविड के संकट में भी हमने इस संस्कार को जिंदा रखा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन काे लेकर कहा कि दुनिया ने हमारी बात मानी होती तो इसका खतरा आता ही नहीं।