दरअसल, जेकेे लोन अस्पताल में ब्लड बैंक प्रभारी को डी फ्रीजर में प्लाजा कम होने का शक हुआ था। उसने कर्मचारियों से पूछताछ की तो एक कर्मचारी ने लैब तकनीशियन किशन सहाय कटारिया को प्लाज्मा बैग में रखते हुए देखा। पूछताछ में किशन ने चोरी करना कबूल लिया और उसने 76 यूनिट प्लाज्मा उसने लाकर जमा करवा दिया। इसकी सूचना मिलते ही अस्पताल प्रशासन में हड़कम्प मच गया। इसके बाद चिकित्सा विभाग ने उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया। जिसकी रिपोर्ट कमेटी के विभाग को शनिवार को पेश की। बताया जा रहा है कि अस्पताल से 414 लीटर प्लाज्मा का रेकॉर्ड जांच में गायब मिला है। यानी करीब 2300 बैग चोरी हुए है। जिनकी कीमत करीब 14 लाख रुपए बतायी जा रही है।
पांच महीने से बंद थे सीसीटीवी कैमरे, नहीं ली सुध
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि ब्लड बैंक के कैमरे करीब पांच महीने से खराब पड़े थे। अस्पताल प्रबंधन में इस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। यहां तक कि अधीक्षक ने ब्लड बैंक का गत महीनों में औचक निरीक्षण भी नहीं किया है। सीसीटीवी कैमरे लगाने वाले कंपनी के कर्मचारी भी शक के घेरे में है। कारण कि वो भी 16 जनवरी के बाद सीसीटीवी कैमरे देखने नहीं आए। उस वक्त भी वो केवल अस्पताल के अन्य कैमरे देखकर चले गए। जबकि इन कैमरो की सुध तक नहीं ली। यह भी सामने आया कि वर्ष 2018 से 2024 तक सरकारी रेट में चोरी छुपे मनमाफिक दाम में भी प्लाज्मा बेचा गया है। जांच में कमेटी को एक निजी ब्लड बैंंक के बैग भी बरामद हुए हैं।