मनीष यादव नें पत्र में क्या लिखा?
विधायक मनीष यादव नें पत्र में लिखा कि, मैं आपका ध्यान प्रदेश में पशुपालकों के मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक सबल योजना के तहत विगत 8 माह के बकल्या बल रहे अनुदान की ओर आकर्षित करना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि कार्यों एवं पशुपालन पर निर्भर करती है, तथा कृषि के उपरांत पशुपालन ही जीविकोपार्जन का सामान्य साधन है। देश में कुल दुग्ध उत्पादन में प्रदेश का लगभग 15 प्रतिशत योगदान है। विधायक ने कहा कि प्रदेश में निर्धनता उन्मूलन में भी पशुपालन की महती भूमिका रही है। पशुपालकों के परिवार का जीविकोपार्जन, बच्चों की पढ़ाई व पालन पोषण भी सामान्यतः पशुपालन पर निर्भर रहता है। प्रदेश में बीजेपी सरकार के गठन के पश्चात प्रदेश के करीब 5 लाख पशुपालकों का अनुदान बकाया चल रहा है।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा पहले भी विधानसभा में भी उठाया था। जिसके फलस्वरूप जुलाई माह में प्रदेश के पशुपालकों का जनवरी माह का अनुमानित 40 करोड रुपए के अनुदान का भुगतान किया गया, परन्तु तत्पश्वात 8 माह के लगभग 300 करोड रुपए का भुगतान अभी भी बकाया चल रहा है। जिससे प्रदेश के पशुपालकों की आर्थिक स्थिति चरमराई है, तथा सबल भी टूटा है।
MLA मनीष यादव ने सीएम भजनलाल का ध्यान आकर्षित करवाते हुए कहा कि प्रदेश में पेयजल व सिंचाई के पानी की बहुत विकट समस्या है, जिसके कारण सामान्यत कृषि भी मानूसन पर आधारित है। प्रदेश के किसानों व पशुपालकों को सरकार के साथ ही प्रकृति की गार भी झेलनी पड़ रही है। चूंकि मानसून वर्ष 2024 में कई इलाकों में बड़े स्तर पर किसानों की खड़ी फसले चौपट हो गई, तथा फसलों की अच्छी पैदावार के अभाव में पशुपालकों पर पशुओं के लिए बारे का संकट मंडरा गया है। पशुपालकों की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर तथा दयनीय हो गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दीपावली के त्योहार पर राजकीय कार्मिकों को बोनस प्रदान किया जाता है, ताकि कार्मिक व उनके परिवारजन त्योहार को हर्ष उल्लास से मना सके उसी प्रकार प्रदेश के पशुपालकों को भी उनके बकाया अनुदान का भुगतान दीपावली के त्योहार से पहले करवाया जाए ताकि पशुपालक व उनके परिवारजन भी दीपावली का त्योहार हर्ष उल्लास से मना सके। अतः मेरा आपसे आग्रह है कि शीघ्र ही प्रदेश के पशुपालकों का मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत बकाया 8 माह के अनुदान का भुगतान करवाकर आर्थिक संबल प्रदान करे।
क्या है ये योजना?
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में अपने दूसरे कार्यकाल में अशोक गहलोत ने ‘मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना’ प्रारम्भ की थी जिसे बाद में भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। बाद में जब कांग्रेस फिर से सत्ता में आई तो फरवरी 2019 को पुन: इस योजना को चालू किया गया। पूर्व में इस योजना के तहत 2 रुपए प्रति लीटर अनुदान देने का प्रावधान किया गया था। अब अनुदान राशि को 2 रुपए से बढ़ाकर 5 रुपए कर दिया गया है।