Rajasthan News: विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस अधिकारियों के विरुद्ध लम्बित अभियोजन स्वीकृति नहीं देने का मामला गूंजा। सरकार ने जवाब में बताया कि 2018 से लेकर अब तक कार्मिक विभाग के पास अभियोजन स्वीकृति के अठारह प्रकरण आए हुए हैं, जिनका परीक्षण किया जा रहा है। इन अठारह प्रकरणों में कुल 19 अफसरों के नाम हैं, जिनमें से सात सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। विपक्ष ने इस प्रश्न को लेकर सरकार पर निशाना भी साधा।
जोधपुर शहर भाजपा विधायक अतुल भंसाली के प्रश्न पर संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने सदन को बताया कि कार्मिक विभाग के पास जो मामले लम्बित हैं, वह 2018 से 2023 तक के हैं। इनमें से किसी में भी सरकार ने अभी तक अभियोजन स्वीकृति नहीं दी है। मामले की जांच के बाद ही तय होगा कि क्या करना है? भंसाली ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति में देरी होने से कर्मचारी मामले को दबाने का प्रयास करते हैं। इसका अन्य कर्मचारियों पर भी असर पड़ रहा है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या यही इस सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है। आठ माह में एक भी अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गई।
मंत्री बोले-निस्तारण के करेंगे प्रयास
मंत्री जोगाराम ने जवाब में कहा कि इन अठारह प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गई, लेकिन सरकार बनने के बाद अब तक आठ माह में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के विरुद्ध 11 प्रकरणों में अभियोजन की स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सभी लंबित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के लिए प्रयास किए जाएंगे। गोविन्द सिंह डोटासरा ने भी बोलने की कोशिश की तो अध्यक्ष ने उन्हें रोक दिया।
अखिल अरोड़ा सहित 5 IAS अफसरों के विरुद्ध परिवाद दर्ज
चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल के प्रश्न के जवाब में कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को दिनांक 1 जनवरी 2023 से 31 मई 2024 तक कुल 10,128 परिवाद प्राप्त हुए। इनमें से 254 परिवादों में अनुसंधान के लिए विभागाध्यक्ष से अनुमति मांगी गई है। इनमें से कुल 20 परिवादों पर अनुमति प्राप्त हो चुकी है। रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए कुल 182 अधिकारियों- कर्मचारियों की अभियोजन स्वीकृति लंबित है। जिन 254 परिवादों में अनुसंधान के लिए विभागाध्यक्ष से अनुमति मांगी गई है। इनमें से पांच प्रकरण आईएएस अफसरों के खिलाफ हैं।
वरिष्ठ आईएएस अखिल अरोड़ा, रवि जैन, अरूण पुरोहित, रिटायर्ड आईएएस निरंजन आर्य, उज्जवल राठौर के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने परिवाद दर्ज कर संबंधित विभागों से जांच की अनुमति मांगी है। इसके अलावा वरिष्ठ आरएएस अफसर केसर लाल मीना, पुरूषोत्तम शर्मा, छोगाराम देवासी, चन्द्रशेखर भंडारी, शिप्रा शर्मा, सीता शर्मा, राजकुमार सिंह, रविन्द्र कुमार, मुकेश मीना, जवाहर चौधरी, कमल यादव, हर्षित वर्मा, अशोक रणवा, सुभाष महरिया सहित अन्य आरएएस अफसरों के खिलाफ आई शिकायतों पर भी परिवाद दर्ज किए गए हैं। एसीबी ने अनुसंधान के लिए कार्मिक विभाग से अनुमति मांगी है।