जयपुर

Rajasthan News: हरियाणा चुनाव में बढ़ी टेंशन खत्म, अब भी सवाल… कब आएगा यमुना का पानी?

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी लगातार रिपोर्ट ले रहे हैं। यदि समय पर काम शुरू होता है तो राजस्थान के चूरू, सीकर, झुंझुनूं जिलों को 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।

जयपुरNov 03, 2024 / 10:05 am

Rakesh Mishra

Jaipur News: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में दो बड़े जल समझौता विवाद (ईआरसीपी और यमुना जल) सुलझने से राजस्थान को जल्द राहत मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन एक मामले में बढ़ी चिंता अब तक कम नहीं हो पाई है। यमुना के पानी के लिए संयुक्त डीपीआर बननी है, जिसके लिए राजस्थान टास्क फोर्स गठित कर चुका है, लेकिन हरियाणा अटकाए बैठा है।
संयु€क्त टास्क फोर्स नहीं बनने और काम की प्रक्रिया शुरू नहीं होने से प्रदेश को समय पर पानी मिलने की संभावना कम होती जा रही है। जल संसाधन विभाग ने हरियाणा सरकार को एक बार फिर कहा है। वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी लगातार रिपोर्ट ले रहे हैं। यदि समय पर काम शुरू होता है तो राजस्थान के चूरू, सीकर, झुंझुनूं जिलों को 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।

कांग्रेस के घोषणा पत्र ने बढ़ा दी थी टेंशन

हरियाणा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी किया था। इसमें अंकित किया गया कि यदि कांग्रेस सरकार बनती है तो ‘यमुना नदी का पानी राजस्थान को दिए जाने संबंधी जो समझौता किया गया है, उसे निरस्त किया जाएगा’। इससे राजस्थान सरकार की टेंशन भी बढ़ गई थी। हालांकि, वहां भाजपा सरकार बनने के बाद जल्द काम शुरू होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

यमुना जल समझौता

17 फरवरी को तीस साल पुराना जल समझौता विवाद सुलझा। दिल्ली में राजस्थान और हरियाणा के मुख्यमंत्री व केन्द्र सरकार के बीच विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए एमओयू हुआ। राजस्थान तो 14 मार्च को ही अफसरों की टास्क फोर्स गठन कर चुका है।

प्रोजेक्ट लागत 20 हजार करोड़- 263 किमी लंबाई में बिछनी है पाइप लाइन

प्रोजे€क्ट की प्रारंभिक लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। हालांकि, डीपीआर बनने के बाद स्थिति साफ होगी। राजस्थान के चूरू, सीकर, झुंझुनूं जिले को हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज (ताजेवाले हेड) से 577 मिलियन €क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा। इसके लिए ताजेवाला हेड से चूरू के हासियावास गांव तक सीधे पानी की लाइन बिछाने पर इस रूट की लंबाई 263 किलोमीटर होगी। इसके लिए 342 हे€क्टेयर जमीन पूरी तरह अवाप्त करनी होगी और 631 हेक्€टेयर जमीन में से आंशिक अवाप्त की जाएगी।
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