सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी निवासी नाजिम को इसलिए जमानत दे दी क्योंकि राज्य सरकार ने मामले में गंभीर लापरवाही बरती थी। राज्य सरकार को नोटिस मिलने के बाद भी किसी वकील को निर्देश नहीं मिले थे कि मामले में पैरवी कौन करेगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी नजीम खान को जमानत देते हुए कहा कि राज्य सरकार को नोटिस 8 अक्टूबर को मिल गया था, लेकिन ना तो किसी का वकालतनामा आया और ना राज्य की ओर से पैरवी के लिए कोई वकील पेश हुआ है। ऐसे में यह पता नहीं है कि प्रार्थी के खिलाफ पूर्व के 7 मामलों में मौजूदा स्थिति क्या है और वर्तमान मामले की स्थिति क्या है। जस्टिस सूर्यकांत व उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने माना कि आरोपी यूपी का रहने वाला है और उसके राजस्थान में चल रहे केस में अनुपस्थित रहने की भी संभावना है। लेकिन प्रार्थी को अनिश्चितकाल के लिए हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे में उसे सशर्त जमानत पर रिहा करना उचित है। अदालत ने आरोपी पर शर्त लगाई कि वह भविष्य में ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होगा। वहीं, अब राज्य सरकार जमानत रद्द करवाने के लिए 4 नवंबर को रिव्यू पीटिशन दायर करेगी। अब अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा इस मामले में पैरवी करेंगे।
जोगाराम पटेल ने किया ये दावा
इसके बाद सूबे के विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि सरकारी अधिवक्ता की चूक से गौ तस्कर की हुई जमानत हुई है। वकील ने सुप्रीम कोर्ट में उचित ढंग से पैरवी नहीं की। अब सरकार ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। जोगाराम पटेल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में गौ तस्कर की जमानत खारिज करवाने के लिए रिव्यू पिटिशन लगाई है। उन्होंने कहा कि गो तस्करी को लेकर प्रदेश में किसी भी प्रकार छूट नहीं दी जाएगी।
टीकाराम जूली ने लगाए थे ये आरोप
नेता विपक्ष टीकाराम जूली ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि गाय के नाम पर राजनीति करने वालों को इस मामले में अपनी जवाबदेही तय करनी होगी। ‘मुंह में राम, बगल में छूरी’ यह है बीजेपी वालों की असलियत है। उन्होंने आगे कहा कि साल 2021 में करौली जिले में राजस्थान पुलिस ने नाजिम नामक शख्स और उनके कुछ साथियों को गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपियों को 26 गोवंशों की तस्करी कर उत्तर प्रदेश ले जाते हुए पकड़ा गया था जिसके बाद कई संगीन धाराओं में मुकदमा बना। आरोपी सेशन कोर्ट गए, जमानत नहीं मिली, हाईकोर्ट गए वहां भी निराशा हाथ लगी।