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Rajasthan News : जनता से जुड़े 10 विधेयक दिल्ली में अटके, अब भजनलाल सरकार बना रही ये प्लान

एक जुलाई से नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के कारण दिल्ली में विचाराधीन विधेयकों की उपयोगिता पर भी नए सिरे से मंथन करना पड़ सकता है।

जयपुरJun 22, 2024 / 02:21 pm

Anil Prajapat

Rajasthan News : जयपुर। जनता से जुड़े 10 विधेयक राजस्थान विधानसभा से पारित होने के बावजूद दिल्ली में अटके हुए हैं। इससे धर्मान्तरण पर सख्ती वाला धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 16 साल से अधर में है और इसमें लव जिहाद जैसा प्रावधान जोड़कर नए सिरे से लाने पर विचार हो रहा है। वहीं, बिरादरी में प्रतिछा के नाम पर ही रही ऑनर किलिंग रोकने, मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए उम्रकैद और किसानों की पांच एकड़ तक की भूमि को कुर्की से बचाने जैसे प्रावधान लागू नहीं हो पा रहे हैं। एक जुलाई से नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के कारण दिल्ली में विचाराधीन विधेयकों की उपयोगिता पर भी नए सिरे से मंथन करना पड़ सकता है। वहीं, प्रदेश को अब अटके विधेयकों के संबंध में डबल इंजन सरकार का फायदा मिल सकता है।
धर्म स्वातंत्र्य विधेयकः गुजरात की तर्ज पर तैयार विधेयक 20 मार्च 2018 को विधानसभा ने पारित किया, जो दिल्ली में विचाराधीन है। इसे भजनलाल सरकार वापस लेने की तैयारी में है। इसके लिए उत्तर प्रदेश विधि-विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की तर्ज पर विधेयक पर मंथन शुरू हो गया है।
यह करना होगाः पहले धर्म स्वातंत्र्य विधेयक वापस लेने के लिए विधानसभा से विधेयक पारित करना होगा। इसके बाद नए कानून के लिए विधेयक पारित करना होगा।

राजस्थान लिचिंग से संरक्षण विधेयक

भीड़ द्वारा हमला करने की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए 5 अगस्त 2019 को विधेयक पारित किया, जिसे पहलू खान की हत्या के मामले को आधार बनाते हुए लाया गया। अबः भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (2) में पांच या उससे अधिक लोगों के किसी पर हमला कर मार देने पर आजीवन कारावास व फांसी की सजा और जुर्माने का प्रावधान। धारा 117 (4) में पांच या अधिक लोगों के किसी पर हमला करने से गंभीर चोट पहुंचने पर सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान।
सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयकः पांच एकड़ तक कृषि भूमि की कुर्की रोकने के लिए 2 नवम्बर 2020 को विधेयक पारित, जिसे राज्यपाल ने जनवरी 2022 में राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा।
रजिस्ट्रीकरण (राजस्थान संशोधन) विधेयक : मुख्ख्यारनामा (पॉवर ऑफ अटॉर्नी) के जरिए संपतियों का हस्तांतरण रोकने के लिए 17 सितम्बर 2021 को पुराने पंजीयन अधिनियम में संशोधन का प्रावधान।

अधिवक्ता संरक्षण अधिनियमः अधिवक्ताओं को संरक्षण के लिए 2023 में विधेयक पारित।
नाथद्वारा मन्दिर (संशोधन) विधेयकः मंदिर के प्रबंध मंडल के संबंध में संशोधन के लिए फरवरी 2023 में विधेयक पारित।

राजस्थान कारागार विधेयकः 1897 के जेल अधिनियम में हाईकोर्ट के निर्देश पर 2023 में संशोधन।
राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयकः मंडी परिसर से बाहर खरीद-बेचान पर शुल्क का प्रावधान पुनः करने के लिए 2022 में विधेयक पारित।

इन पर करना पड़ सकता है पुनर्विचार

राजस्थान सम्मान और परम्परा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयकः सम्मान और परम्परा के नाम पर परिवार की इच्छा के विरूद्ध प्रेम विवाह करने वालों की हत्या की घटनाओं को रोकने के लिए पांच अगस्त 2019 को विधेयक पारित किया।
राजस्थान संगठित अपराध का नियंत्रण विधेयक: प्रदेश में गिरोह बनाकर अपराध करने की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान कर 18 जुलाई 2023 को महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर राजस्थान संगठित अपराध का नियंत्रण विधेयक पारित। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 में संगठित अपराध के मामलों में सजा के प्रावधान हैं।
दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयकः मिलावटखोरी रोकने के लिए खाने-पीने या दवाइयों में मिलावट के लिए आजीवास कारावास की सजा का प्रावधान कर 18 सितम्बर 2021 को दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक पारित किया। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 274, 276 व 277 में 6 माह से एक वर्ष तक की सजा और जुर्माने के प्रावधान।
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