फेसबुक फ़ॉलोअर्स हनुमान बेनीवाल — 1.4 मिलियन
- डॉ ज्योति मिर्धा — 1 लाख 23 हज़ार
’X’ (ट्विटर) फ़ॉलोअर्स - हनुमान बेनीवाल — 1.1 मिलियन
- डॉ ज्योति मिर्धा — 16 हज़ार 600
फ़ॉलोअर्स-भीड़ नहीं चुनाव जीत का पैमाना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फ़ॉलोअर्स की संख्या का आधार हो या चुनावी रैलियों में जमा भीड़ का नज़ारा, दोनों ही मामले चुनावी मैदान के असल मुकाबले में जीत का पैमाना नहीं रहते हैं। चुनाव में जीत के कई अन्य आधार सोशल मीडिया पर सक्रियता से ऊपर माने जाते रहे हैं।
… इधर डॉ मिर्धा की आज खींवसर एंट्री नागौर की हॉट सीट पर भाजपा-कांग्रेस के आमने-सामने मुकाबले में अब एक दिलचस्प अपडेट ये है कि डॉ ज्योति मिर्धा आज हनुमान बेनीवाल के ‘गढ़’ खींवसर में अपनी जीत के लिए प्रचार कर रहीं हैं। जारी हुए खींवसर कार्यक्रम के अनुसार वे खींवसर की जनाणा, पालड़ी जोधा, गाजू, खजवाना, रूण, औलादन, दधवाड़ा, नोखा चांदावता, रोल चांदावता, रियां श्यामदास, कडवासरों की ढाणी, हरसोलाव और भाटियों की ढाणी में जनसंपर्क करने उतरी हुई हैं। इसी बीच टालनपुर रोड गोटन में जन जागृति सभा को संबोधित करेंगी।
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ज्योति के खिलाफ शिकायतहनुमान बेनीवाल की आरएलपी-इंडिया गठबंधन ने पिछले सप्ताह शनिवार को भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायती पत्र में ज्योति मिर्धा द्वारा अपने नामांकन में कुछ तथ्य छुपाने के आरोप जड़े गए।
आरएलपी-इंडिया की शिकायत के अनुसार भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने नागौर लोकसभा से दाखिल अपने नामांकन व शपथ पत्र में आपराधिक तथ्यों को छुपाया है। नामांकन व शपथ पत्र में बताया गया है कि उनके विरुद्ध कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है, जबकि जोधपुर शहर के उदयमंदिर थाने में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज हैं।
तीसरी बार हो रहा आमना-सामनाज्योति मिर्धा और बेनीवाल तीसरी बार आमने-सामने हो रहे हैं। इससे पहले 2014 और 2019 में भी दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा है। ठीक 5 साल बाद चेहरे नहीं बदले हैं, लेकिन समीकरण बदल चुके हैं। जहां 2019 में ज्योति मिर्धा कांग्रेस की प्रत्याशी थीं, तो वहीं हनुमान बेनीवाल ने उनके खिलाफ चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। तब बेनीवाल को भाजपा का समर्थन था। इस बार की परिस्थिति में बेनीवाल कांग्रेस के समर्थन से चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं ज्योति मिर्धा भाजपा टिकट से प्रत्याशी है।
जाट बाहुल्य है नागौर लोकसभा सीटनागौर परंपरागत रूप से जाट राजनीति का प्रमुख गढ़ माना जाता है। नागौर के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो नागौर में जाट बहुसंख्यक हैं। मुस्लिम मतदाताओं की आबादी दूसरे स्थान पर बताई जाती है। इसके अलावा राजपूत, एससी और मूल ओबीसी वोटर भी अच्छी संख्या में हैं। नागौर लोकसभा सीट पर लंबे समय तक मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। नागौर से सबसे ज्यादा बार सांसद बनने का रिकॉर्ड नाथूराम मिर्धा के नाम है, जो छह बार नागौर से जीते थे। नाथूराम मिर्धा परिवार जाट समुदाय से है।