लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों ने हार के लिए ब्यूरोक्रेसी पर ठीकरा फोड़ा था। विधायकों का कहना था कि ब्यूरोक्रेसी सही ढंग से काम नहीं कर रही है। सरकार की योजनाओं का जनता को लाभ नहीं मिल रहा है। इसी वजह से कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी। इसके बाद विधानसभा सत्र शुरू हो गया और सरकार तबादले नहीं कर पाई।
सत्र के दौरान ही भरतपुर सहित कई जिलों में जनप्रतिनिधियों और ब्यूराक्रेसी के बीच चल रही तल्खी भी सामने आई। ऐसे में सरकार बड़ी संख्या में तबादलों करने में जुटी है। इसमें विधायकों और जनप्रतिनिधियों की ओर से दिए गए नामों पर भी विचार किया जा रहा है।
निकाय चुनावों के मद्देनजर सरकार विश्वस्त अधिकारियों को ही चुनाव वाले जिलों में लगाएगी। ताकि चुनावों से पहले सरकारी योजनाओं को गति दी जा सके। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि सर्वाधिक तबादले कलेक्टर, एडीएम और एसीडएम के होंगे। संघ विचारधारा के अधिकारी लगने की शिकायतें भी सरकार को मिली हैं, ऐसे में सरकार ऐसे नामों को लेकर भी गंभीर है।
निकाय चुनावों के मद्देनजर सरकार विश्वस्त अधिकारियों को ही चुनाव वाले जिलों में लगाएगी। ताकि चुनावों से पहले सरकारी योजनाओं को गति दी जा सके। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि सर्वाधिक तबादले कलेक्टर, एडीएम और एसीडएम के होंगे। संघ विचारधारा के अधिकारी लगने की शिकायतें भी सरकार को मिली हैं, ऐसे में सरकार ऐसे नामों को लेकर भी गंभीर है।
बहरहाल कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही राज्य में तबादलों का दौर शुरू हो गया था। शुरुआती दौर में ही मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों ने अपने हिसाब से अधिकारी लगवाए। मगर अब कई प्रभारी मंत्री ही इन अधिकारियों को लेकर शिकायतें करने लगे हैं। निकाय चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में सरकार कोई रिस्क नहीं उठाना चाहती। जल्द ही तबादला सूची जारी कर सरकार इन शिकायतों को खत्म करेगी।