जयपुर

मदरसों में पढ़ने वाले 80 फीसदी तक बच्चे ड्रॉप आउट की कगार पर, मदरसा बोर्ड की कोई निगरानी नहीं

इस साल 8वीं के तमाम छात्रों को प्रमोट कर दिया गया है, लेकिन आगे की पढ़ाई को लेकर मदरसों में करीब 80 प्रतिशत तक बच्चे उदासीन बने हुए हैं, जबकि 9वीं में एडमिशन की अंतिम तारीख नजदीक है। मदरसों से ड्राप आउट के ऐसे हालात को देखते हुए विभिन्न मदरसा संचालकों ने सरकार से मदरसों को सेकेंडरी तक क्रमोन्नत करने की मांग की है।

जयपुरAug 10, 2021 / 08:56 pm

abdul bari

अब्दुल बारी/जयपुर. मदरसा में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे मिडिल क्लास पास करने के बाद शिक्षा से ही मुंह मोड़ते दिखाई दे रहे हैं। चिंता की बात ये है कि इस मामले की मदरसा बोर्ड और अल्पसंख्यक विभाग दोनों ही ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालात ये हैं कि इस साल 8वीं के तमाम छात्रों को प्रमोट कर दिया गया है, लेकिन आगे की पढ़ाई को लेकर मदरसों में करीब 80 प्रतिशत तक बच्चे उदासीन बने हुए हैं, जबकि 9वीं में एडमिशन की अंतिम तारीख नजदीक है। मदरसों से ड्राप आउट के ऐसे हालात को देखते हुए विभिन्न मदरसा संचालकों ने सरकार से मदरसों को सेकेंडरी तक क्रमोन्नत करने की मांग की है।

70 से 80 प्रतिशत ने नहीं ली टीसी, संचालक बोले- बकाया जैसा मामला भी नहीं

घाटगेट स्थित मदरसा इकरा तालीमुल कुरआन के अध्यक्ष रफीक गारनेट ने बताया कि उनके मदरसे में 79 विद्यार्थी प्रमोट हुए हैं। इनमें चेताने बावजूद केवल 23 बच्चों ने ही अब तक टीसी ली है। गारनेट ने बताया कि समाज की ओर से चलने वाले मदरसों में फीस भी काफी कम है, ऐसे में अभिभावकों के सामने बकाया होने जैसा मसला भी नहीं है। वहीं बाबू का टीबा स्थित मदरसा अनवारुल इस्लाम के हैड मास्टर अशरफ अली ने बताया कि इस साल 8वीं में 26 बच्चे प्रमोट हुए हैं, जिनमें 16 लड़कियां हैं। लेकिन अब तक केवल 5 बच्चों ने टीसी ली है और पढ़ाई जारी रखने के इच्छुक दिख रहे हैं। रामगंज के मदरसा गुलजार मस्जिद के सचिव उमरदीन ने बताया कि 8वीं में 23 बच्चे प्रमोट हुए हैं, ज बकि केवल 6 ने ही टीसी ली है, कोरोना के बाद से बच्चों में पढ़ाई की दिलचस्पी काफी कम हुई। है।
‘पिछले साल 90 प्रतिश त तक ड्राप आउट हुआ, ध्यान देने की जरूरत’

अभी मदरसों को मिडिल तक मान्यता है। सरकार से मांग है कि सक्षम मदरसों को सेकेंडरी तक की मान्यता दें, ताकि हम मदरसोंं में ही बच्चों को आगे पढ़ा लें। ड्रॉप आउट करने वाली बड़ी तादाद लड़कियों की है। इसे रोकने के लिए शिक्षा विभाग, मदरसा बोर्ड और मुस्लिम समाज तीनों को गंभीरता से उचित कदम उठाने की जरूरत है। पिछले साल भी मदरसों में 90 प्रतिशत तक ड्राप आउट होने का अनुमान है।
कय्यूम अख्तर
जनरल सैकेट्री, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल

ड्राप आउट रोकने का प्रयास कर रहे हैं…

इस समस्या से निजात के लिए हम ओपन स्कूल से एक टाइअप कर रहे हैं, जिसके बाद मामुली शुल्क पर मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे 8वीं के बाद भी पढ़ाई जारी रख सकेंगे। कई मदरसा संचालक सैकेंडरी तक की मान्यता देने की मांग भी कर रहे हैं।
जमील कुरैशी
निदेशक, अल्पसंख्यक विभाग

( प्रतीकात्मक तस्वीर )

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