बड़े लोग भी इसका समर्थन करते नजर आते हैं। कौमी इत्तेहाद बेहद जरूरी है। पोकरण में मदरसा शिक्षक मोहम्मद इस्माइल का कहना है कि मुस्लिम बच्चों में तालीम लेने का शौक है, लेकिन संसाधन की कमी इसमें रोड़े डालती है। चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या फिर भाजपा की, बुनियादी काम किसी ने नहीं किए। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय को तालीम से दूर रखा जा रहा है। हालांकि वह भामाशाह, खाद्य सुरक्षा, उज्ज्जवला योजना के लाभ में भेदभाव की बात से इनकार करते दिखे।
यहां जनरल स्टोर चलाने वाले स्वरूप सिंह भाटी काफी मुखर दिखे और कहा कि विधायक ने पिछले पांच साल में कोई काम नहीं किया, इसलिए बदलाव जरूरी है। कांग्रेस को भी अपना उम्मीदवार बदल कर किसी दूसरे समाज के नेता को आगे लाना होगा। चौराहे पर जूते पालिश कर रहे दुर्गाराम मेघवाल से एससी-एसटी एक्ट के आंदोलन के बारे में पूछा तो उसने गर्दन हिलाते हुए तपाक से कहा ‘चुनाव में भी इयोरे पूरो असर रेवेला। जठे भी समाज जाई उवेरे साथे रेवोला। दलित अधिकार अभियान के सचिव गणपत राम गर्ग ने साफ कर दिया कि सरकार ने एससी-एसटी एक्ट के बहाने दलितों का नुकसान किया और नफरत फैलाई है। इसके बाद साथी मनोहर जोशी और दीपक सोनी के साथ बाइक से कस्बे में घूमा।
परमाणु परीक्षण स्थल पर जाने की इच्छा जताने पर जोशी ने मुझे बताया कि वहां जाने पर प्रतिबंध है। उसकी निशानी के तौर पर कस्बे में शक्ति स्थल बना हुआ है। वहां गए तो इसकी हालत दयनीय दिखी। यहां पर बनाए गए टैंक, मिसाइल समेत अन्य मॉडल जर्जर हालत में दिखे, जबकि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अटल शक्ति केन्द्र बनाने की घोषणा की है।
यहां से हम कौमी एकता और साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रतीक रामदेवरा पहुंचे। यहीं हमें पता चला कि चुनाव में साम्प्रदायिकता फैलती है और इसमें कुछ हद तक नेताओं का हाथ होता है। यहां हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले युवा महेश गांधी ने ग्राहकों को सामान देते-देते बताया कि कांग्रेस हो या फिर भाजपा, सरकार किसी की हो, कोई काम नहीं करता। वर्तमान विधायक का भी विरोध हो रहा है।
यहां प्रत्याशी हिन्दू आए या मुस्लिम आए, चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम वाद हो ही जाता है। यह सब प्रत्याशी के आसपास रहने वाले लोग करते हैं। जबकि सडक़ें खराब पड़ी है, स्कूलों में शिक्षक नहीं हैै। इसकी किसी को फिïक्र ही नहीं है। इसके बाद हम गोमट गांव पहुंचे। एक जगह कुछ ग्रामीण बैठे हुए थे। उनसे चुनाव की चर्चा की तो भीखे खां बोलने लगा कि सरकार ने पांच साल में नोटबंदी, जीएसटी से नुकसान पहुंचाया है। जब उनसे भामाशाह योजना के तहत मोबाइल के लिए रुपए मिलने की जानकारी मांगी तो कहने लगे कि सरकार ने हमारा खाता ही बंद कर दिया तो पैसे कहां से आएंगे। इन ग्रामीणों को तीन तलाक को लेकर सरकार की ओर से बनाए कानून की जानकारी नहीं थी। हालांकि गो तस्करी के नाम पर भीड़ द्वारा हत्या को मुद्दा जरूर बताया।
इनका कहना है
बड़ली मांडा मुस्लिम बहुल गांव है, जहां बच्चियों की पढ़ाई के लिए प्राइमरी स्कूल के आगे कोई इंतजाम नहीं है। आगे पढऩा हो तो उन्हें छह किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा। मुस्लिम गांव और आबादी में इसी तरह के हालात हैं।
मोहम्मद इस्माइल, पोकरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सर्जिकल स्ट्राइक और राहुल गांधी रफाल की बात करें तो करें, हमें कोई मतलब नहीं। हमारे लिए तो महंगाई ही सबसे बड़ा मुद्दा है। प्रत्याशी हिंदू हो या मुस्लिम चुनाव में हिंदू-मुस्लिम वाद हो ही जाता है।
महेश गांधी, रामदेवरा