राज्यपाल ने जारी की मंजूरी
महेश जोशी के खिलाफ राज्यपाल ने अनुमति जारी कर दी है। वहीं, पीएचईडी ने सात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की अनुमति देते हुए फाइल सरकार को भेज दी है। एसीएस सुबोध अग्रवाल और कुछ अन्य अधिकारियों का मामला डीओपी (कार्मिक विभाग) और पीएचईडी विभाग (जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी) के पास लम्बित है। प्राथमिक जांच में भूमिका संदिग्ध मानी
एसीबी ने जल जीवन मिशन में करोड़ों के भुगतान में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर एक प्राथमिकी जांच रिपोर्ट 6/2024 दर्ज की थी। इसकी जांच में पाया कि ठेकेदार पदम चंद जैन व महेश मित्तल की फर्म ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पेश कर ठेके लिए थे। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की जानकारी विभाग को मिल गई थी।
इसकी शिकायत परिवाद व ई-मेल के जरिए विभाग को मिल गई थी। जिस संस्था का प्रमाण पत्र पेश किया गया था, उस संस्था ने भी अधिकारिक तौर पर सूचना दी थी कि विभाग में पेश प्रमाण पत्र फर्जी है। इसके बाद भी विभाग ने व उच्च स्तर ने समय पर जांच का निर्णय नहीं लिया। देर से जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट भी संदेहास्पद थी। इस बीच करोड़ों के भुगतान भी कर दिए गए।
कार्मिक विभाग ने मांगी टिप्पणी
एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी के लिए एसीबी ने महेश जोशी की फाइल राज्यपाल को भेजी थी। यह राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार के माध्यम से एसीबी भेजी दी गई। वहीं सुबोध अग्रवाल व अन्य की फाइल डीओपी व पीएचईडी को भेजी गई। पीएचईडी ने पांच अधिकारियों के नाम पर मनाही कर दी तथा सात अधिकारियों के खिलाफ अनुमति दे दी। अन्तिम निर्णय के लिए फाइल सरकार को भेजी गई है। वहीं, एसीएस सुबोध अग्रवाल व छह और अधिकारियों का मामला डीओपी व पीएचईडी के पास अभी लम्बित है। पीएचईडी से इनके बारे में टिप्पणी मांगी गई है। सभी के खिलाफ अन्तिम निर्णय होने के बाद भी एफआईआर दर्ज की जाएगी।
एसीबी ने खोला था भ्रष्टाचार
जेजेएम में भ्रष्टाचार एसीबी ने ही गत वर्ष खोला था, जब ठेकेदार पदमचंद जैन के ठिकाने पर दबिश देकर पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ईडी ने भी मामला दर्ज कर कई गिरफ्तारियां की थीं। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के मामले में विभाग ने ही बजाज नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसको लेकर सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया है। इसके बाद अब चौथा मामला एसीबी में चल रहा है।