जीसीआई रिपोर्ट के मुताबिक, विशेष रूप से छाबड़ा और सूरतगढ़ संयंत्रों में गैर-कार्यशील ताप विद्युत संयंत्रों के कारण आरवीयूएनएल को काफी वित्तीय हानि हो रही है। जीसीआई रिपोर्ट में खुलासे हुए कि देशभर में बिजली कटौती के मामले में राजस्थान पहले नंबर पर आता है। राजस्थान में किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक बिजली कटौती होती है।
मौसम बदला, लेकिन हालात नहीं
जीसीआई की दैनिक रिपोर्ट के मुताबिक गर्मी के मौसम में बिजली की उपयोगिता बढ़ने के चलते सिर्फ राजस्थान ही नहीं हर जगह बिजली की मांग में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन अब मानसून आ गया है। ऐसे में बिजली की मांग में कमी आई है, लेकिन फिर भी राजस्थान के हालात नहीं सुधरे। अधिकतर दिन ऐसे होते हैं जब प्रदेश को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राजस्थान के पास अपने खुद के भी बिजली संयंत्र हैं। यहां बिजली मांग 3,200 लाख यूनिट की है। इसकी तुलना में राजस्थान मात्र 2,800 लाख यूनिट की जरूरत को पूरा कर पाता है। पीक आवर्स में बिजली की डिमांड 3,700 लाख यूनिट की होती है। यहीं कारण है कि राजस्थान में बिजली कटौती एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
अधिकारियों का कहना है कि सबसे बड़ा कारण विद्युत संयंत्रों का पूर्ण क्षमता में काम न कर पाना है। विनियामक दिशानिर्देश के मुताबिक थर्मल पावर प्लांट को पूरी क्षमता का कम से कम 83% चलाना चाहिए, क्योंकि उन्हें समय-समय पर रखरखाव की आवश्यकता होती है। लेकिन दूसरी तरफ राजस्थान सरकार के थर्मल पावर प्लांट 55-65% की क्षमता पर चलते हैं। यानी इन थर्मल पावर प्लांट्स की क्षमता बेहद कम है। ऐसे में बिजली की कटौती होना जाहिर सी बात है।
राजस्थान सरकार के सामने आ सकती है मुसीबत
विद्युत विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राजस्थान के मुख्य सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट छबड़ा और सूरतगढ़ संयंत्रों में तकनीकी समस्या के कारण उन्हें निर्धारित क्षमता के मुताबिक नहीं चलाया जा रहा। बिजली संयंत्र को एक निश्चित शुल्क दिया जाता है ताकि वह डिस्कॉम कंपनी को बिजली बेच सके।
लेकिन जब आरवीयूएनएल अनिवार्य 83% से कम उत्पादन करता है, तो प्रदेश के बिजली संयंत्रों को नुकसान होता है। विद्युत विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अगर ऐसा लंबे समय तक रहा तो राजस्थान सरकार के सामने बड़ी मुसीबत आ सकती है। प्रदेश पर आर्थिक संकट मंडरा सकता है।