मामले में डीजी उमेश मिश्रा ने आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए है। निलम्बन काल में विश्नोई को पुलिस मुख्यालय व गिरधर को शासन सचिवालय में अपनी उपस्थिति देंगे। इसके अलावा टोंक के दाखिया के पटवारी नरेन्द्रसिंह दहिया, टोंक कलक्ट्रेट के कनिष्ट लिपिक हनुमान प्रसाद चौधरी और एसडीएम टोंक के गनमैन मुकेश कुमार चौधरी को निलम्बित किया गया है। मामले में टोंक तहसीलदार रामधन गुर्जर भी नामजद है। खबर लिखे जाने तक गुर्जर के निलम्बन आदेश की पुष्टि नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि अजमेर हाईवे स्थित होटल मकराना राज में रविवार रात करीब दो बजे आईपीएस सुशील ने अपनी मित्र मंडली के साथ महफिल जमा रखी थी। तभी होटलकर्मियों से विवाद हो गया। गिरधर पहले टोंक में पदस्थापित थे। टोंक के कर्मचारी उन्हीं के साथ आए थे। विवाद होने पर अधिकारी कार में सवार होकर रवाना हो गए। वे थोड़ी देर बाद पुलिस के साथ लौटे और होटल में उपस्थित कर्मचारियों की जबरदस्त पिटाई की। मारपीट में पुलिसकर्मी भी शामिल थे। गेगल थाना पुलिस ने प्रकरण में पांच आरोपियों को नामजद कर शांतिभंग में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।
अजमेर पुलिस ने दबाया मामला अजमेर पुलिस के उच्चाधिकारियों को रविवार रात ही जानकारी मिल गई थी। इसके बाद भी मामला दबाए रखा। बताया जा रहा है कि होटल संचालक एसपी चूनाराम जाट से भी मिला था। बावजूद इसके सोमवार तक सरकार के पास मामले की पूरी जानकारी नहीं पहुंची। इस बीच मंगलवार को सीसीटीवी फुटेज वायरल हो गए।
आइपीएस पर था बलात्कार का आरोप, एफआर लगी
आइपीएस सुशील कुमार बिश्नोई के खिलाफ जोधपुर के पुलिस स्टेशन देवनगर में दिसम्बर 2019 में बलात्कार का मामला दर्ज कराया गया था। पीडि़ता भी प्रशिक्षु आइपीएस थी और ट्रेनिंग के दौरान हैदराबाद में बलात्कार करने के साथ ही 40 ग्राम सोना व करीब आठ लाख रुपए ऐंठने का आरोप लगाया गया था। जांच के बाद पुलिस ने एफआर लगा दी थी।