जयपुर

सुप्रीम कोर्ट ने बिजली खरीद पर राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश किया रद्द, खरीदनी नहीं पड़ेगी महंगी बिजली, बचेंगे 3092 करोड़ रुपए

Rajasthan News: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बिजली खरीद से जुड़े दो मामलों में महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें प्रदेश की बिजली कंपनियों को एक निजी विद्युत उत्पादन कंपनी से बिजली खरीदने के आदेश दिए गए थे।

जयपुरJan 10, 2024 / 11:20 am

Akshita Deora

Electricity Purchase: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बिजली खरीद से जुड़े दो मामलों में महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें प्रदेश की बिजली कंपनियों को एक निजी विद्युत उत्पादन कंपनी से बिजली खरीदने के आदेश दिए गए थे। इससे डिस्कॉम्स को महंगी बिजली नहीं खरीदनी पड़ेगी, जिससे करीब 3092 करोड़ रुपए बचेंगे। वहीं, विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण के उसी आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की 160 मेगावाट बिजली खरीद प्रक्रिया को रोक दिया गया था। अब नए सिरे से बिजली खरीद प्रक्रिया शुरू होगी और विद्युत संकट की स्थिति से निपटा जा सकेगा। कंपनी पर 5 लाख की कॉस्ट भी लगाई गई है।

यह है मामला
यह मामला वर्ष 2009 का है, जब राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम ने 25 साल के लिए 1000 मेगावाट बिजली खरीदने के लिए निविदा जारी की। इसमें कई कंपनियां आई। तीन कंपनियों की रेट तो एक्सचेंज दर के अनुसार थी, लेकिन बाकी दो कंपनियों की रेट ज्यादा थी। इनमें एक एम.बी. पावर कंपनी भी थी, जो सूची में सातवें नम्बर पर रही। रेट ज्यादा होने के कारण निगम ने इससे बिजली खरीदने से मना कर दिया। कंपनी हाईकोर्ट पहुंची, कोर्ट ने 20 सितंबर, 2021 को निगम को इनसे बिजली खरीदने के आदेश दिए। इसके खिलाफ प्रसारण निगम और ऊर्जा विकास निगम दोनों सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

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इन कंपनियों से खरीद रहे
-डी.बी. पावर- 310 मेगावाट (4.81 रुपए प्रति यूनिट)
-मारूति क्लिन- 195 मेगावाट (4.51 रुपए प्रति यूनिट)
-एस.के.एस. पावर- 100 मेगावाट (अभी 2.88 रुपए प्रति यूनिट, लेकिन क्लेम 5.30 रुपए यूनिट किया हुआ है। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत)


इस तरह बचेंगे करोड़ों रुपए

-अभी जिन कंपनियों से बिजली खरीदी जा रही है, उसमें दर 4.81 रुपए प्रति यूनिट है। जबकि, एम.बी. पावर ने निविदा में 5.51 रुपए यूनिट दर से 200 मेगावाट बिजली खरीद अंकित की थी। यानि, तुलनात्मक रूप से 70 पैसे यूनिट ज्यादा देने पड़ते।
-25 साल के लिए बिजली खरीदते तो अनुमानित तौर पर करीब 27 हजार करोड़ रुपए का भुगतान करना होता। इसमें 70 पैसे यूनिट ज्यादा देने होते, जो 3092 करोड़ रुपए बनते।

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160 मेगावाट बिजली खरीद भी होगी शुरू
ऊर्जा विकास निगम ने पिछले वर्ष 160 मेगावाट बिजली खरीदने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन एम.बी. पावर यह तर्क देते हुए विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण पहुंच गया कि उनका बिजली खरीद से ही जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर न्यायाधिकरण ने 1 जून, 2023 को इस प्रक्रिया को रोकने के आदेश दिए। अब यह खरीद भी शुरू हो सकेगी।

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