न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने शिव प्रकाश की 32 साल पुरानी अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। अपील के अनुसार फरवरी 1985 में बारां थाने में पांच साल की बालिका से बलात्कार के प्रयास का मामला दर्ज हुआ, जिस पर दिसम्बर 1991 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पांच साल की जेल और 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना राशि जमा नहीं होने पर 6 माह की जेल की सजा भुगतने का आदेश दिया।
इस आदेश को वर्ष 1992 में अपील के जरिए चुनौती दी गई, उस समय अपीलार्थी 27 साल का था। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रणव पारीक ने कहा कि बलात्कार के प्रयास का मामला विश्वसनीय नहीं है, इसमें कई विरोधाभास हैं और चोट के निशान भी नहीं हैं। इसके अलावा पीड़िता के कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं था।
यह भी पढ़ें