छाती के माप की जरूरत के बारे में कुछ सोचना जरूरी
न्यायामूर्ति दिनेश मेहता ने वन रक्षक पद के लिए फिजिकल जांच परीक्षा पास करने के बावजूद छाती माप के मानदंड पर उनकी अयोग्यता को चुनौती देने वाली तीन महिला कैंडिडेट की अर्जी पर फैसला करते हुए यह बात कही। न्यायामूर्ति दिनेश मेहता ने भर्ती प्रक्रिया में दखल नहीं दिया, पर कहा महिला उम्मीदवारों के लिए छाती माप की जरूरत के बारे में कुछ सोचना जरूरी है। चाहे वह वन रक्षक का पद हो या वनपाल या कोई अन्य पद।
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महिला की गरिमा और निजता के हक पर हमला
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रदत्त, महिला की गरिमा और निजता के हक पर हमला है। अर्जी देने वालों ने हाईकोर्ट से कहा उनकी माप पात्रता से अधिक है। जिस पर हाईकोर्ट ने एम्स के मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी थी।
अर्जियां खारिज की पर तरीके पर आपत्ति जताई
रिपोर्ट में बताया गया कि दो उम्मीदवारों की छाती की माप ‘सामान्य स्थिति’ में पात्रता से कम थी, जबकि एक की छाती की माप ‘विस्तारित स्थिति’ में कम थी। इस रिपोर्ट के आधार पर, हाईकोर्ट ने उनकी अर्जियां खारिज कर दीं। और उन्हें फेल करने के भर्ती एजेंसी के फैसले को बरकरार रखा, पर इस तरीके को लेकर आपत्ति जताई।
हाईकोर्ट का आदेश तीनों को भेजा गया
हाईकोर्ट ने आदेश की एक कॉपी मुख्य सचिव, वन विभाग सचिव और कार्मिक विभाग के सचिव को इस मानदंड पर फिर से सोचने के लिए भेजी है।
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