इनमें मूलत: जयपुर के रहने वाले एनआरआइ के अलावा देश के अन्य शहरों के एनआरआइ भी शामिल है, जो कई सालों से विदेशों में रह रहे हैं। पर्यटन विशेषज्ञों की मानें तो जयपुर घूमने आने वाले विदेशी पर्यटकों में 25 से 30 फीसदी एनआरआइ शामिल हैं। वे जयपुर आकर यहां के बाजार और मंदिर जाना नहीं भूलते हैं।
खासकर गोविंददेवजी मंदिर, मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर, ताड़केश्वर महादेव मंदिर, आमेर शीला माता मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं। वहीं यहां के बाजारों और गलियों में घूमते हैं। यहां के प्रसिद्ध जायकों का स्वाद भी चखते हैं। इसके साथ ही देश के अन्य शहरों के एनआरआइ को यहां की विरासत पसंद आ रही है। कुछ एनआरआइ परिवार के साथ आते हैं, जो यहां के स्मारकों व संग्रहालयों के साथ यहां के बाजार, हवेलियों और मंदिरों को देखकर खुश नजर आते हैं। उनको यहां के घेवर, गजक, लस्सी, आमेर की गूंजी, मोहनथाल आदि खूब पसंद आते हैं।
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ये पर्यटन स्थल बने पसंद
- आमेर महल नाहरगढ़
- जंतर-मंतर
- हवामहल
जयपुर का हैरिटेज और यहां का कल्चर
जयपुर का हैरिटेज और यहां का कल्चर आज भी याद आता है। जब भी जयपुर आना होता है, यहां के मंदिरों में दर्शन करने और बाजार घूमने जाते हैं। न्यूयॉर्क में भी दोस्तों को यहां के हैरिटेज और कल्चर के बारे में बताते हैं तो वे भी यहां आना नहीं भूलते हैं।-प्रदीप गोयल, एनआरआइ
विदेशी पर्यटकों में 30 फीसदी एनआरआइ
विदेशों में रह रहे एनआरआइ जयपुर घूमने आ रहे हैं। यहां के संग्रहालय, स्मारक और हैरिटेज इमारतों के अलावा यहां के बाजार उन्हें बहुत पसंद आ रहे हैं। जयपुर निवासी एनआरआइ छुट्टियों में यहां आकर मंदिरों में जाना और बाजार देखना पसंद कर रहे हैं। यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों में 30 फीसदी एनआरआइ होते हैं।-महेश कुमार शर्मा, राज्य स्तरीय पुरस्कृत गाइड