Bad News : राजस्थान में ग्रीन मार्बल का खजाना खत्म होने के कगार पर है। उदयपुर और डूंगरपुर जिले में स्थित ग्रीन मार्बल की खदानों में अब नाम मात्र ही खनिज बचा है। दोनों जिलों में स्थित ग्रीन मार्बल की 202 खनन लीज में से अब लगभग 50 ही उत्पादन दे रही है। इनमें भी एक हजार टन प्रतिदिन का उत्पाद देने वाली खदानें 30 के करीब ही है। राजस्थान का एक्सपोर्ट बढ़ाने में अहम किरदार निभाने वाले ग्रीन मार्बल की विदेश में सर्वाधिक मांग है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयार्क स्थित मुख्यालय से लेकर दुबई की कई ऊंची और प्रमुख इमारतों में ग्रीन मार्बल का उपयोग किया गया है। भारत में नई संसद सहित कई प्रमुख भवनों में ग्रीन मार्बल का उपयोग हुआ है। उदयपुर जिले के केसरियाजी क्षेत्र में सर्वाधिक खदानें होने की वजह से इसे केसरिया ग्रीन के नाम से भी जाना जाता है।
फैक्ट फाइल
1980 के दशक में शुरु हुआ था खनन।1992 से शुरू हुआ विदेशों में एक्सपोर्ट।
128 खनन लीज उदयपुर जिले में।
74 खनन लीज डूंगरपुर जिले में।
1200 से 1500 रुपए प्रति टन करीब उत्पादन लागत।
2500 रुपए प्रति टन औसत विक्रय मूल्य
उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति सचिव हितेश पटेल ने बताया ग्रीन मार्बल की विदेश में काफी मांग है। नब्बे के दशक में इसका निर्यात शुरू हुआ था। जब प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलब्धता थी। करीब पांच साल पहले तक प्रतिदिन पांच से छह हजार टन प्रतिदिन का उत्खनन हो रहा था। लेकिन, अब खनिज की उपलब्धता कम होने से मात्र 800 से एक हजार टन प्रतिदिन का ही उत्खनन हो पा रहा है। कई लीज तो बंद ही हो चुकी है। जहां खनिज है, वहां अधिक गहराई होने से उत्पादन लागत बहुत अधिक हो गई है। यह भी पढ़ें – Good News : स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर अकादमिक एक्सीलेंस योजना पर आया नया अपडेट, सरकार ने दिया आदेश