पुनर्गठित ग्राम पंचायतों के मामले में पटवार घर, पंचायत भवन, किसान सेवा केन्द्र, विद्यालय और अन्य सरकारी कार्यालय वाले गांवों को ग्राम पंचायत का मुख्यालय बनाया जाएगा। वहीं, नई ग्राम पंचायत गठित करने से पहले इन भवनों के निर्माण के लिए पहले भूमि चिह्नित करनी होगी।
इसके अलावा राजस्व गांव को विभाजित करके दो ग्राम पंचायतों में नहीं रखा जाएगा। संपूर्ण राजस्व एक ग्राम पंचायत में ही रहेगा। नवगठित ग्राम पंचायत का पूरा क्षेत्र एक ही विधानसभा क्षेत्र में रहेगा। ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के नए प्रस्तावों को संबंधित ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित किया जाएगा। इसके बाद लोग एक माह की अवधि में तहसीलदार, उपखंड अधिकारी और जिला कलक्टर को अपने सुझाव और आपत्तियां प्रस्तुत कर सकेंगे।
छोटी ग्राम पंचायतें होंगी तो जल्द काम होंगे
आदिवासी अनुसूचित क्षेत्र, सहरिया क्षेत्र और रेगिस्तान वाले जिलों में ग्राम पंचायतों के गठन में अधिकतम जनसंख्या के मापदंडों में छूट देने से ग्राम पंचायतें छोटी होंगी। ऐसे में काम का प्रेशर कम होगा। लोगों के प्रकरणों का निस्तारण जल्द हो सकेगा। यह भी पढ़ें