हालांकि दिलचस्प यह भी है कि पंचायत राज संस्थाओं के लिए 73वें संविधान संशोधन में इसका प्रावधान है कि इनका कार्यकाल न घटाया जा सकता है और न ही बढ़ाया जा सकता है। वहीं, प्रशासक भी 6 माह से अधिक समय के लिए नहीं लगाए जा सकते हैं। अगर प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया जाता है तो राज्य सरकार को इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजना होगा। ऐसे में वन स्टेट वन इलेक्शन फॉर्मूले की घोषणा कहीं न कहीं सरकार के लिए भी गलफांस बनती जा रही है।
प्रशासक नहीं लगाने के लिए सरपंचों का आग्रह आंदोलन
जिन पंचायत में कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें प्रशासक की बजाय सरपंचों का ही कार्यकाल बढ़ाने की मांग राज्य सरकार से की गई है। पिछले माह सरपंच संघ ने पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर सहित कई अधिकारियों से मध्यप्रदेश फॉर्मूले की तर्ज पर सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी। इसके लिए प्रदेश भर में आग्रह आंदोलन भी चलाया जा रहा है। यह भी पढ़ें
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कमेटी करेगी परीक्षण
प्रदेश में 11310 ग्राम पंचायतें हैं। 6759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल जनवरी 2025, 704 ग्राम पंचायतों का मार्च 2025 और 3847 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल सितंबर 2025 में समाप्त हो रहा है। पिछली बार इन ग्राम पंचायतों में चार चरणों में चुनाव कराए गए थे। इस बार सरकार के सामने चुनौती है कि इन ग्राम पंचायतों में चुनाव कैसे कराए जाएं। गौरतलब है कि विधानसभा के बजट सत्र में सरकार ने वन स्टेट वन इलेक्शन की घोषणा करते हुए एक कमेटी बनाने की भी घोषणा की थी जो इसका परीक्षण करेगी कि पंचायतों और निकायों के चुनाव एक साथ कैसे कराए जाएं। ग्राम पंचायतों में 6 माह से अधिक प्रशासक नहीं लगाए जा सकते हैं, कार्यकाल बढ़ाते हैं तो फिर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास करना होगा।
–रफीक पठान, प्रवक्ता, राजस्थान सरपंच संघ
–रफीक पठान, प्रवक्ता, राजस्थान सरपंच संघ
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