जयपुर

राजस्थान सरकार डवलपर्स पर कसेगी नकेल, 7 साल तक टाउनशिप का करना होगा मेंटिनेंस, नहीं तो होगी यह कार्रवाई

Township Policy Draft : राजस्थान सरकार अब डवलपर्स पर नकेल कसने जा रही है। टाउनशिप पॉलिसी ड्राफ्ट के तहत डवलपर अब 7 साल मेंटिनेंस करेगा। तब तक 2.5 फीसद भूखंड नहीं बेच सकेगा।

जयपुरJun 29, 2024 / 12:28 pm

Sanjay Kumar Srivastava

राजस्थान सरकार डवलपर्स पर कसेगी नकेल

Rajasthan Government Strictness Developers : टाउनशिप में भूखंड-मकान बेचने के बाद उसके रखरखाव की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने वाले डवलपर्स पर राज्य सरकार नकेल कसने जा रही है। अब डवलपर्स को 7 साल तक टाउनशिप का रखरखाव करना होगा। इसके बदले टाउनशिप के कुल भूखंडों का 2.5 प्रतिशत हिस्सा (बिक्री योग्य क्षेत्र) आरक्षित रखा जाएगा। डवलपर सात साल तक उन भूखंड-मकान को बेच नहीं सकेगा।

नई टाउनशिप नीति के ड्राफ्ट में किया गया है यह प्रावधान

विकास कार्यों में कमी रही तो निकाय, प्राधिकरण इन भूखंडों को बेचकर काम करा सकेगा। नई टाउनशिप नीति के ड्राफ्ट में यह प्रावधान किया गया है। उधर, नगरीय विकास विभाग के आला अफसरों का कहना है कि टाउनशिप में रहने वालों की परेशानियों को देखते हुए ही यह प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।
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कैसे करेंगे सख्ती, इस तरह समझें

मसलन, कोई टाउनशिप 80 बीघा की है और उसमें सड़क, पार्क, कम्युनिटी सेंटर व अन्य सुविधा क्षेत्र छोड़ने के बाद बिक्री योग्य क्षेत्र में 300 भूखंड सृजित होते हैं तो उसका 2.5 प्रतिशत हिस्सा यानि 8 भूखंड आरक्षित रखे जाएंगे। डवलपर को इन भूखंडों को बेचने का अधिकार सात साल बाद मिलेगा और वह भी तब जब वह टाउनशिप के विकास कार्यों का ढंग से रखरखाव करेगा।

चक्कर काटने को मजबूर जनता

जयपुर के कालवाड रोड, जगतपुरा, अजमेर रोड पर सेज के पास सहित प्रदेश के कई बड़े शहरों में टाउनशिप बनी हुई हैं। ज्यादातर जगह सुविधाओं का मेंटिनेंस नहीं होने से स्थिति बदतर है। कहीं सड़कें उधड़ी हुई हैं तो कहीं सीवरेज लाइन जाम है। डवलपर्स प्रॉपर्टी बेचकर दूर हट गए और निकाय यह कहकर काम नहीं करते कि यह डवलपर या सोसायटी की जिम्मेदारी है।

पानी को सहेजने पर फोकस

ड्राफ्ट में बारिश के पानी को सहेजने से लेकर घर के व्यर्थ बहने वाले पानी के परिशोधन पर ज्यादा फोकस किया गया है। रसोई, बाथरूम के पानी का परिशोधन कर उसे सिंचाई के लिए उपयोगी बनाना होगा। पूर्णता प्रमाण पत्र के लिए इसकी भी अनिवार्यता की जा रही है। अभी भी कुछ प्रावधान हैं लेकिन उतनी सख्ती से पालना के नियम में कमी है।
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