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Rajasthan: सरकार ने निकाला बजरी का ये विकल्प, हर निर्माण में 25 प्रतिशत उपयोग करने के आदेश किए जारी

राजस्थान सरकार ने बजरी का विकल्प निकाला है। जिसे लेकर नगरीय विकास विभाग ने हर निर्माण में 25 फीसदी उपयोग करने का आदेश जारी किया है।

जयपुरAug 14, 2024 / 09:22 am

Lokendra Sainger

राजस्थान में होने वाले डवलपमेंट कार्यों में बजरी के साथ कम से कम 25 प्रतिशत एम-सेंड (स्टोन डस्ट) का उपयोग करना ही होगा। प्राेजेक्ट के लिए जो भी अनुबंध और कार्यादेश जारी होंगे, उसमें यह शर्त जोड़ी जाएगी। नगरीय विकास विभाग ने सभी विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास और आवासन मण्डल को इस संबंध में आदेश दे दिए हैं। बजरी खनन में आ रही रुकावट के बाद इसके विकल्प एम-सेंड को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया गया है। खान एवं पेट्रोलियम विभाग ने पहले ही 25 प्रतिशत उपयोग के लिए कहा था, लेकिन ज्यादातर निकायों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में विभाग को यह आदेश निकालने पड़े।
एम-सेंड का उपयोग कर्नाटक, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू में ज्यादा हो रहा है। कर्नाटक में सर्वाधिक 2 करोड़ टन, तेलंगाना में 70 लाख 20 हजार टन और तमिलनाड़ु मेें 30 लाख 24 हजार टन एम सेंड का सालाना उत्पादन हो रहा है।
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बजरी की यह है स्थिति

राजस्थान में टोंक व बीसलपुर बांध के अलावा बजरी की वैध लीज नहीं है। कई जगह अवैध रूप से बजरी खनन किया जा रहा है। पिछले तीन माह पहले 1100 से 1200 टन दर से मिलने वाली बजरी के लिए अभी 1400 से 1500 रुपए टन देने पड़ रहे हैं। सवाईमाधोपुर क्षेत्र से अवैध रूप से बजरी के डंपर आगरा रोड होते हुए आ रहे हैं। प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही।
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दिक्कत यहां भी

एम-सेंड के जितने वैध प्लांट हैं, उतने ही अवैध तरीके से भी काम हो रहा है। इस कारण कई जगह से एम-सेंड के नाम पर डस्ट भी आ रही है। इससे काम की गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका रहती है। सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना होगा, तभी डवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में निर्धारित मानक की एम-सेंड उपयोग हो पाएगी।
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