न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने सोमवार को मिलावट के खतरों को लेकर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया। सोमवार को ही ग्रीष्मावकाश के बाद हाईकोर्ट में नियमित रूप से कामकाज शुरू हुआ। कोर्ट ने मिलावट पर पुख्ता कार्रवाई के लिए जोधपुर और जयपुर के सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार कौंसिल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित अन्य वकीलों से अदालत को सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया, वहीं पालना के लिए आदेश की कॉपी स्वास्थ्य मंत्रालय व मुख्य सचिव को भेजी गई है।
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खाने के बारे में जानने को समय ही नहींकोर्ट ने कहा, आज हम रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करने में इतना व्यस्त हो गए कि खाने के बारे में जानने के लिए समय ही नहीं देते। हमें यह भी पता नहीं है कि जो हम खा रहे हैं, वह सुरक्षित भी है या नहीं। लोगों का जीवन बचाने के लिए सरकार इस मामले पर गंभीरता दिखाए। मिलावट के कारण किडनी, हृदय व लीवर आदि अंगों पर प्रभाव होने के साथ ही कुपोषण की समस्या का भी शिकार हो रहे हैं। मिलावट व घटिया खाना समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। देश ही नहीं दुनिया में कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद व्यापारी कम लागत पर मुनाफा कमाने के लिए सस्ती व घटिया चीजें मिलाकर खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं।
ठंडे बस्ते में पड़ा है विधेयक
खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 इस समस्या को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि यह कानून असंगठित क्षेत्र, हॉकर्स आदि पर लागू न होकर सिर्फ प्रोसेसिंग यूनिट पर लागू होता है। इसके अलावा सैंपल जांचने की लैब भी कम हैं। तकनीक के अभाव में खाद्य प्राधिकारी उचित निगरानी नहीं रख पाते हैं। केन्द्र सरकार इस मामले में सजग है और स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2020 में खाद्य सुरक्षा मानक बिल तैयार भी किया, लेकिन उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। नागरिकों के जीवन की रक्षा करना सरकार का दायित्व है। यह विषय समवर्ती सूची में होने के कारण केन्द्र व राज्य सरकार प्रभावी कानून बनाकर मिलावट रोकने के लिए कदम उठाएं।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 इस समस्या को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि यह कानून असंगठित क्षेत्र, हॉकर्स आदि पर लागू न होकर सिर्फ प्रोसेसिंग यूनिट पर लागू होता है। इसके अलावा सैंपल जांचने की लैब भी कम हैं। तकनीक के अभाव में खाद्य प्राधिकारी उचित निगरानी नहीं रख पाते हैं। केन्द्र सरकार इस मामले में सजग है और स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2020 में खाद्य सुरक्षा मानक बिल तैयार भी किया, लेकिन उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। नागरिकों के जीवन की रक्षा करना सरकार का दायित्व है। यह विषय समवर्ती सूची में होने के कारण केन्द्र व राज्य सरकार प्रभावी कानून बनाकर मिलावट रोकने के लिए कदम उठाएं।
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20 फीसदी खाद्य पदार्थ असुरक्षितकोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार 20 फीसदी खाद्य पदार्थ मिलावटी या असुरक्षित गुणवत्ता के बिक रहे है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के सर्वे के अनुसार 70 फीसदी दूध में पानी मिला होता है और दूध में डिटर्जेंट मिला होने के प्रमाण भी हैं।
हाईकोर्ट ने यह दिए निर्देश