दरअसल, 12 मई को विभाग ने आदेश जारी किए थे। जिसके तहत निकायों को अधिक आकार के पट्टे जारी करने का अधिकार दिया गया था। इस तरह के मामलों में सरकार से स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं थी। इसके बाद भी अधिकारी इनका प्रयोग नहीं कर रहे थे और सरकार को स्वीकृति के लिए मामले भेजे जा रहे थे। जिसके चलते विभाग ने दोबारा आदेश जारी कर सख्ती दिखाई है। सरकार ने साफ कर दिया है कि तय सीमा के आकार के पट्टे निकाय अपने स्तर पर ही जारी करें।
आदेश में यह लिखा था
आदेश के मुताबिक समस्त विकास प्राधिकरण और नगर विकास न्यास के प्राधिकृत अधिकारी को आवासीय, फॉर्म हाउस और रिसोर्ट के 25 हजार वर्गमीटर और गैर आवासीय के 15 हजार वर्गमीटर आकार तक के पट्टे जारी करने का अधिकार दिया गया था। इसी तरह अन्य समस्त स्थानीय अधिकारियों को आवासीय, फॉर्म हाउस और रिसोर्ट के 15 हजार वर्गमीटर और गैर आवासीय के 5 हजार वर्गमीटर आकार तक के पट्टे जारी करने का अधिकार दिया गया था।
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अधिकार बढ़ाने की यह थी वजह
सरकार की एक ही मंशा थी कि लोगों को समय पर पट्टे मिल सकें। पहले प्रक्रिया जटिल थी, जिसमें निकाय से मंजूरी के बाद फाइल सरकार के पास जाती थी और वहां से मंजूरी के बाद ही पट्टा जारी होता था, इस प्रक्रिया में कई महीनों का समय लगता था, जिसकी वजह से बड़े आकार के भूखंडों का पट्टा देने का अधिकार निकायों को दिया गया था।