बात राजस्थान के उस मुख्यमंत्री की, जो एक चर्चित राजनीतिज्ञ रहा और अपने दौर के बड़े-बड़े नेताओं की छुट्टी कर दी। मोहन लाल सुखाड़िया का जन्म 31 जुलाई 1916 को राजस्थान के झालावाड़ में हुआ था। उनके पिता का नाम पुरुषोत्तम लाल सुखाड़िया था जो चर्चित क्रिकेटरों में गिने जाते थे। सुखाड़िया जैन परिवार से संबंध रखते थे।
राजस्थान के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञों में से एक थे सुखाड़िया जिन्हे ‘आधुनिक राजस्थान का निर्माता’ भी कहा जाता है। सबसे लम्बे समय तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी अब तक उनके नाम है। सुखाड़िया के नाम कुल 6038 दिन सीएम पद पर रहने का रिकॉर्ड है।
13 नवंबर 1954 को मोहनलाल सुखाड़िया राजस्थान के मुखिया बने। उन्होंने सबसे अधिक समय लगभग 17 साल तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर कार्य किया। वे 1954 से 1971 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहे । इसके बाद में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के राज्यपाल भी रहे।
मुंबई में लड़ा चुनाव, जीते और बने महासचिव ( Mohan Lal Sukhadia Education )
राजस्थान के नाथद्वारा और उदयपुर में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद मोहनलाल सुखाड़िया वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजीकल इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के लिए मुंबई के लिए चले गए। वहां मोहनलाल सुखाड़िया छात्र संगठन के महासचिव भी चुने गए।
राजस्थान के नाथद्वारा और उदयपुर में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद मोहनलाल सुखाड़िया वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजीकल इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के लिए मुंबई के लिए चले गए। वहां मोहनलाल सुखाड़िया छात्र संगठन के महासचिव भी चुने गए।
फिर कांग्रेस में हुए सक्रिय ( Mohan Lal Sukhadia Political Career )
कॉलेज में मोहनलाल सुखाड़िया देश के कई प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं जैसे- सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, युसूफ मेहरली, अशोक मेहता के संपर्क में आए। उन्होंने कांग्रेस में हमेशा एक सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका निभाई।
कॉलेज में मोहनलाल सुखाड़िया देश के कई प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं जैसे- सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, युसूफ मेहरली, अशोक मेहता के संपर्क में आए। उन्होंने कांग्रेस में हमेशा एक सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका निभाई।
इलेक्ट्रिक दुकान से शुरू किया व्यवसाय
कॉलेज पूरी होने के बाद उन्होंने नाथद्वारा ( Nathdwara ) में एक छोटी-सी इलेक्ट्रिक दुकान से व्यावसायिक जीवन शुरू किया। 1 जून, 1938 को मोहन लाल सुखाड़िया का इंदुबाला सुखाड़िया के साथ अंतर्जातीय विवाह किया। जिसका उन्हें विरोध पर झेलना पड़ा। उनके परिवार ने भी इसका घोर विरोध किया।
कॉलेज पूरी होने के बाद उन्होंने नाथद्वारा ( Nathdwara ) में एक छोटी-सी इलेक्ट्रिक दुकान से व्यावसायिक जीवन शुरू किया। 1 जून, 1938 को मोहन लाल सुखाड़िया का इंदुबाला सुखाड़िया के साथ अंतर्जातीय विवाह किया। जिसका उन्हें विरोध पर झेलना पड़ा। उनके परिवार ने भी इसका घोर विरोध किया।
17 साल तक राजस्थान की कमान
17 साल तक राजस्थान की कमान संभालने वाले मोहन लाल सुखाडिय़ा महज 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे। वे ऐसे राजनीतिज्ञ थे जो लगातार चार बार उदयपुर विधानसभा ( Udaipur Assembly ) से जीतकर जयपुर विधानसभा ( jaipur vidhan sabha ) में पहुंचे। स्व. सुखाडिय़ा ने उदयपुर शहर सीट पर चार बार विधायकी की कुर्सी हासिल करने का गौरव हासिल किया और उतनी ही बार वे प्रदेश के मुख्यमंत्री ( Rajasthan CM ) की कुर्सी पर आसीन हुए। मोहन लाल सुखाडिय़ा के नाम पर उदयपुर विश्वविद्यालय ( Udaipur University ) भी है। सन् 1984 में इसका नाम राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा के नाम पर किया गया।
17 साल तक राजस्थान की कमान संभालने वाले मोहन लाल सुखाडिय़ा महज 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे। वे ऐसे राजनीतिज्ञ थे जो लगातार चार बार उदयपुर विधानसभा ( Udaipur Assembly ) से जीतकर जयपुर विधानसभा ( jaipur vidhan sabha ) में पहुंचे। स्व. सुखाडिय़ा ने उदयपुर शहर सीट पर चार बार विधायकी की कुर्सी हासिल करने का गौरव हासिल किया और उतनी ही बार वे प्रदेश के मुख्यमंत्री ( Rajasthan CM ) की कुर्सी पर आसीन हुए। मोहन लाल सुखाडिय़ा के नाम पर उदयपुर विश्वविद्यालय ( Udaipur University ) भी है। सन् 1984 में इसका नाम राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा के नाम पर किया गया।
मृत्यु के बाद छाया राजनीति में शोक ( Mohan Lal Sukhadia Death )
मोहनलाल सुखाड़िया की मृत्यु 2 फरवरी 1982 को राजस्थान के बीकानेर जिले में हुई। उनके निधन के बाद राजस्थान की राजनीति में शोक की लहर छा गई।
मोहनलाल सुखाड़िया की मृत्यु 2 फरवरी 1982 को राजस्थान के बीकानेर जिले में हुई। उनके निधन के बाद राजस्थान की राजनीति में शोक की लहर छा गई।