दिल्ली के आदेश का सबसे ज्यादा असर भरतपुर पर होगा। एनसीआर में शामिल होने के बाद पिछले दो साल से कोरोना ने इस व्यवसाय को पूरी तरह समेट दिया। इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारी और मजदूर फांकाकशी की जिंदगी बसर करने पर मजबूर हो रहे हैं। भरतपुर में आतिशबाजी का व्यापार चार से पांच करोड़ था।
दिल्ली को लुभाते हैं बूंदी के अनार
बूंदी के शोरगरों के मिट्टी से बनाए अनार की जयपुर और दिल्ली में इन अनारों की बेहद मांग रहती हैं। दिवाली पर लाखों का माल यहां से दिल्ली भेजा जाता है। आदेश के बाद शोरगरों का उत्साह ठंडा हो गया है। यहां करीब एक दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां हैं। जहां कई लोग इस काम से जुड़े हुए हैं जो बेरोजगार हो गए हैं।
बीकानेर की फुलझड़ी के दिवाने
बीकानेर की फुलझड़ी के सभी दिवाने हैं लेकिन आतिशबाजी पर लगी रोक से पटाखा व्यवसाय से जुड़े मजदूरों के रोजगार पर संकट छा गया है। बीकानेर में फुलझड़ी बनाने की चार फैक्ट्रियां है। यहां से भी माल दिल्ली और अन्य राज्यों को भेजा जाता है।
श्रीगंगानगर के आसपास पटाखे बनाने की दो फैक्टि्रयां है। यहां सूतली के बम, कुल्लड अनार, सामान्य अनार, फूलझडी आदि बनाई जाती हैं। पटाखों पर रोक के बाद यहां भी काफी असर पड़ेगा। यहां कोरोना के बाद तक पटाखा उद्योग पनप नहीं पाया है और अब इस आदेश ने पटाखा बनाने वालों की नींद उड़ा दी है।
जयपुर पर भी दिल्ली सरकार के आदेश का असर होगा। यहां से काफी तादाद में आतिशबाजी दिल्ली भेजी जाती है। यहां की आतिशबाजी के दिल्लीवासी सदा से ही दीवाने रहे हैं। दिवाली और शादियों में भी जयपुर के शोरगरों को जयपुर से दिल्ली आतिशबाजी के लिए बुलाया जाता है।