1. पाठ्यक्रम में बदलाव शुरू हुआ वीर सावरकर और जौहर विवाद : डोटासरा ने सत्ता में आते ही स्कूली पाठ्यक्रम समीक्षा कमेटी गठित की। जिनमें सबसे अहम बदलाव वीर सावरकर (
Veer Savarkar ) के अंश में किया गया। उनका नाम अब विनायक दामोदर सावरकर लिखा गया है। यह भी लिखा है कि उन्होंने अण्डमान की सेलुलर जेल से छूटने के लिए ब्रिटिश सरकार के सामने चार बार दया याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने खुद को पुर्तगाल का पुत्र भी लिखा। इसके अलावा अंग्रेजी विषय की एक किताब से जौहर (
Jauhar ) का चित्र हटाकर दुर्ग का चित्र लगाने पर भी विवाद उठ चुका है। इन परिवर्तनों का भाजपा और राजपूत समाज ने काफी विरोध किया।
2. कैलेंडर में परिवर्तन : डोटासरा ने शिक्षा विभाग के कैलेंडर यानी शिविरा में भी परिवर्तन किया गया है। उन्होंनेे 2012-13 का स्कूली कैलेंडर लागू किया है। नए कैलेंडर के अनुसार ही स्कूल 24 जून से खुल सके। जिसके चलते स्कूलों में योग दिवस का आयोजन नहीं हो सकता था। जिसका काफी विरोध हुआ। बाद में उन्होंने योग दिवस के दिन स्कूल एक घंटे खोलने का निर्णय देना पड़ा। साथ ही जो भी नजदीकी स्कूल हो वहां जाकर योग करने की छूट प्रदान की। नए कलैण्डर के अनुसार यह शिक्षण सत्र 15 मई तक चलेगा। शीतकालीन अवकाश केवल 7 दिन का होगा।
3. शिक्षकों के तबादले : ग्रीष्मावकाश के दौरान स्कूली शिक्षकों को तबादलों की उम्मीद थी लेकिन नहीं हो पाए। हालांकि विभाग ने शिक्षकों के शाला दर्पण पोर्टल पर स्टाफ कॉर्नर की नई व्यवस्था शुरू की है। इसमें शिक्षक अपने व्यक्तिगत लॉगिन आइडी बना रहे हैं। पहली बार तबादलों के आवेदन भी ऑनलाइन लिए जाएंगे। स्कूल शुरू होने के बाद तबादले होंगे। जिसके चलते बीच सत्र में तबादलों से पढ़ाई में बाधा आएगी।
4. शिक्षक प्रशिक्षण शिविर : ग्रीष्म व शीत कालीन अवकाश के दौरान होने वाले शिक्षकों के प्रशिक्षण शिविर इस बार राज्य सरकार ने नहीं करवाए हैं। इन शिविरों को अब गैर आवासीय कर दिया गया है। शिविर अब अवकाश के दौरान नहीं बल्कि सत्र के दौरान होंगे। इसके लिए विभाग नीति बना रहा है। शिविरों के प्रशिक्षण शिविर बीच सत्र में ही करवाए जाएंगे।
5. शिक्षकों की कमी : शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों को इस बार भी राहत नहीं मिल पाई है। हालांकि रीट के रीशफल परिणाम से कुछ पद जरूर भरे गए हैं लेकिन अब भी शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं। वर्तमान में प्रदेश के 65 हजार स्कूलों में करीब 4 लाख शिक्षक हैं।
6. किताबों की स्थिति : पाठ्यक्रम में परिवर्तन के कारण स्कूलों में किताबें सत्र शुरू होने से पहले पहुंचना शिक्षा विभाग के लिए सबसे बड़ा टास्क है। कई परिवर्तन तो अंतिम दौर में किए गए हैं। ऐसे में समय पर किताबें पहुंचने में काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं।