विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को तीन हिंदी पट्टी राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। विपक्ष की भूमिका में आने के कुछ ही दिन बाद कांग्रेस आलाकमान ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव किए। दोनों राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष भी बदला तो नेता प्रतिपक्ष का भी चयन कर दिया। लेकिन राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष पद पर बदलाव या नेता प्रतिपक्ष चयन को लेकर आलाकमान अब तक कन्फ्यूज़न की स्थिति में है।
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दौड़ से बाहर हुए सचिन पायलट!
नेता प्रतिपक्ष पद पर प्रबल दावेदारों में करीब दर्जन भर नेताओं के नामों की चर्चा है, जिसमें पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा था। लेकिन पिछले दिनों पायलट को छत्तीसगढ़ राज्य का प्रभारी बनाये जाने के बाद उनके इस पद पर चयन की संभावना फीकी पड़ती दिख रही है।
पायलट नहीं, तो फिर कौन?
सदन में सत्तारूढ़ 115 सदस्यीय भाजपा विधायक दल के सामने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की अगुवाई करने वाले नेता प्रतिपक्ष पद पर कई दावेदारों के नाम चर्चा में हैं। सचिन पायलट को अलावा इस दौड़ में शांति धारीवाल, हरीश चौधरी, डॉ रघु शर्मा, महेंद्र जीत सिंह मालवीय और मुरारी लाल मीणा जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम चर्चा में हैं।
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डोटासरा की भूमिका को लेकर ‘सुगबुगाहट’
सत्तारूढ़ दल पर हमलावर रहने वाले नेताओं में वरिष्ठ विधायक के तौर पर गोविंद सिंह डोटासरा भी उपयुक्त माने जाते रहे हैं। लेकिन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष होने के कारण डोटासरा को नेता प्रतिपक्ष की दोहरी ज़िम्मेदारी दिए जाने की संभावनाएं बेहद कम हैं। हालांकि डोटासरा को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की संभावना तब ज़रूर बन सकती हैं, यदि आलाकमान प्रदेशाध्यक्ष पद पर बदलाव का बड़ा कदम उठाती है।
चौंका सकता है नया नाम
राजस्थान में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों के चयन में नए और युवा चेहरों को मौक़ा देकर जिस तरह से भाजपा आलाकमान ने सभी को चौंका दिया है, ठीक इसी तरह से अगर कांग्रेस भी कदम बढ़ाती है, तो कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं के नाम भी नेता प्रतिपक्ष पद पर प्रबल दावेदार माने जा सकते हैं।
नए और युवा नामों की फहरिस्त में तीसरी बार विधायक बने पूर्व मंत्री अशोक चांदना का नाम नेता प्रतिपक्ष संभावितों में टॉप पर है। पायलट की तरह गुर्जर समाज से आने वाले चांदना इस बार भाजपा के दिग्गज नेता प्रभुलाल सैनी को हराकर विधानसभा पहुंचे हैं। वे अशोक गहलोत से लेकर राहुल गांधी तक की पसंद भी बताये जाते हैं।
इसी तरह से पूर्व मंत्री टीकाराम जूली का नाम भी नए और युवा संभावित नामों की चर्चा में है। जूली ने इस बार का चुनाव अलवर ग्रामीण सीट से प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी जयराम जाटव को 27 हज़ार से ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया है।
आलाकमान पर छोड़ा था फैसला
राजस्थान विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद नेता प्रतिपक्ष चयन को लेकर प्रदेश कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक जयपुर में पिछले वर्ष 5 दिसंबर को बुलाई गई थी। इसमें पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से लेकर पर्यवेक्षक के तौर पर भूपिंदर सिंह हुड्डा, मुकुल वासनिक और मधुसूदन मिस्त्री सरीखे वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
इस विशेष बैठक में सभी जीते विधायकों के साथ घंटों तक मंथन चला। लेकिन आखिर में एक लाइन का नतीजा ये निकला कि नेता प्रतिपक्ष चयन पर फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। तब से लेकर अभी तक इस पद के लिए सभी की नज़रें आलाकमान पर ही टिकी हुई हैं।