राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस में हुए अंतर्कलह एवं सियासी संकट के चलते 25 सितंबर 2022 को प्रदेश में कांग्रेस सरकार समर्थित 92 विधायकों ने अपना त्याग पत्र विधानसभाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से सौंपा था, लेकिन 2 महीने बाद भी इन्हें स्वीकार नहीं किया गया है। त्याग पत्र देने के बावजूद मंत्री व विधायक अभी भी संवैधानिक पदों पर आसीन है, जिन पर बने रहने को उन्हें कोई अधिकार नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो कर अध्यक्ष को इस्तीफ़ा पेश करने पर उसे अविलम्ब स्वीकार करना अध्यक्ष के लिए विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के अंतर्गत बाध्यकारी है।
तबादला की सूचियों पर कर रहे हैं हस्ताक्षर
राठौड़ ने कहा कि इस्तीफ़ों पर निर्णय लंबित होने से मंत्रिमंडल के सदस्य अभी भी तबादला उद्योग चलाकर स्थानांतरण की सूचियों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। विभागीय बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं और मंत्री के रूप में प्राप्त बंगला, कार, स्टाफ व सुरक्षाकर्मियों की सुविधाओं को भी वापस नहीं लौटा रहे हैं। जब मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी त्याग पत्र सौंपा है तो फिर वह किन प्रावधानों के तहत मंत्रीपद के रूप में आसीन है ?
तबादला की सूचियों पर कर रहे हैं हस्ताक्षर
राठौड़ ने कहा कि इस्तीफ़ों पर निर्णय लंबित होने से मंत्रिमंडल के सदस्य अभी भी तबादला उद्योग चलाकर स्थानांतरण की सूचियों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। विभागीय बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं और मंत्री के रूप में प्राप्त बंगला, कार, स्टाफ व सुरक्षाकर्मियों की सुविधाओं को भी वापस नहीं लौटा रहे हैं। जब मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी त्याग पत्र सौंपा है तो फिर वह किन प्रावधानों के तहत मंत्रीपद के रूप में आसीन है ?
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