अब नए पंचायतीराज विभाग राज्य की 11 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों की स्वच्छता का मूल्यांकन कराएगा। इससे पहले हर ग्राम पंचायत में नियमित सफाई और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी। सबसे बड़ी चुनौती प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की है। इसके लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई की स्थापना की जाएगी। जहां कचरे में से प्लास्टिक अलग किया जाएगा। सभी जगह सफाई व्यवस्था शुरू होने के बाद इनका मूल्यांकन किया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में संपूर्ण स्वच्छता के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जाएगा। प्लास्टिक कचरे की मात्रा अधिक होने वाले स्थानों जैसे धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थल, सार्वजनिक स्थल इत्यादि को चिह्नित कर 15 जनवरी तक प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों की स्थापना की जाएगी। गांव-गांव में सामुदायिक बर्तन बैंक भी इसका उत्तम विकल्प हो सकता है।- मदन दिलावर, पंचायतीराज मंत्री
12 जिलों में जगह चिह्नित
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई के लिए बारां, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, धौलपुर, हनुमानगढ़, झालावाड़, झुंझुनूं, कोटा, पाली एवं राजसमंद जिलों में ब्लॉक स्तर पर स्थान चिह्नित कर लिए गए हैं। जहां नहीं हुआ है, वहां 15 जनवरी 2025 तक स्थानों का चयन करके प्लास्टिक निस्तारण का कार्य शुरू किया जाएगा। प्लास्टिक का उपयोग रोकने पर जोर
ग्रामीणों को मेलों, पदयात्राओं, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। खाने में स्टील के बर्तनों को उपयोग करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए गांवों में बर्तन बैंक स्थापित किए जाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कोटा जिले की बोरबास ग्राम पंचायत में बर्तन बैंक बनाया जा रहा है। इसमें करीब 3 हजार बर्तन सेट होंगे।
किए जा रहे टेंडर
स्वच्छता के लिए 11200 ग्राम पंचायतों में टेंडर किए जा रहे हैं। जिसमें से 3495 में कार्यादेश जारी कर दिए गए हैं। 10689 में टेंडर प्रक्रिया चल रही है। जबकि 2046 ग्राम पंचायतों में कार्य शुरू हो गया है।