इसी तरह स्क्रब टाइफस से विभाग ने पूरे राज्य में 6 मौतें बताई हैं। जबकि अकेले जयपुर के सवाईमानसिंह अस्पताल में इस वर्ष इस बीमारी से 10 मरीज दम तोड़ चुके हैं। हैरत की बात यह है कि उच्च् स्तर से लगातार मौसमी बीमारियों की समीक्षा किए जाने के बावजूद चिकित्सा कर्मी और बच्चों की मौत तक के आंकड़े सरकारी सूची में शामिल नहीं किए गए।
विभाग ने 50 जिलों में माना डेंगू, 33 जिलों में स्क्रब टाइफस
विभाग की ओर से एक अक्टूबर तक के जारी आंकड़ों में प्रदेश में डेंगू के 4816 मरीज और कोटा में एक की मौत बताई गई है। जबकि अन्य जिलों में भी मौतें हो चुकी हैं। इनमें 2-2 जयपुर-जोधपुर-बांसवाड़ा और एक धौलपुर जिले की है।
मौसमी बीमारियों के पीक सीजन में चिकित्सा मंत्री के सख्त निर्देशों के बावजूद बीमारियों के आंकड़ों को जुटाने में भी लापरवाही बरती जा रही है। विभाग की ओर से जारी की जाने वाली मौसमी बीमारियों की सूचना में डेंगू के लिए 50 जिले माने गए हैं, वहीं स्क्रब टाइफस की जानकारी 33 जिलों के आधार पर दी जा रही है। जबकि राज्य में जिलों का पुनर्गठन होने के साथ ही विभाग सभी 50 जिलों के लिए पृथक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की नियुक्ति कर चुका है। जबकि बीमारियों का मॉनिटरिंग तंत्र ही अब 50 जिलों के आधार पर है।
1. बांसवाड़ा में जिले के परतापुर क्षेत्र का 37 वर्षीय युवक और रातीतलाई क्षेत्र की 20 वर्षीय युवती डेंगू से दम तोड़ चुकी है।
2. जयपुर में 5 वर्ष आयु की बच्ची की 26 सितंबर को निजी अस्पताल में मौत हो गई।
3. दौसा जिले के रामगढ़ पचवारा उप जिला अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सक ज्योति मीणा की डेंगू से जयपुर में उपचार के दौरान 25 सितम्बर को मौत हुई। चिकित्सक जयपुर निवासी है।
स्क्रब टाइफस के जयपुर में सर्वाधिक मामले
राज्य में स्क्रम टाइफस के सर्वाधिक 338 मरीज जयपुर जिले में सामने आए हैं। यहां 4 की मौत दर्ज की गई है। इसके अलावा 357 उदयपुर, 151 अलवर, 178 कोटा, 124 दौसा, 112 चित्तौड़गढ, 230 राजसमंद में मरीज मिले हैं। भरतपुर में 57 और सीकर में 26 मरीजों पर एक-एक मौत दर्ज की गई है। प्रदेश में कल 2151 मरीजों पर 6 की मौत हुई है।