बीजेपी ने पहले 6 सीटों पर ही प्रत्याशियों का ऐलान किया था। बीजेपी ने दौसा से जगमोहन मीना, सलूंबर से शांता देवी मीना, झुंझनूं से राजेन्द्र भांबू, रामगढ़ में सुखवंत सिंह, खींवसर से रेवतराम डांगा और देवली-उनियारा से राजेन्द्र गुर्जर को चुनावी रण में उतारा है। वहीं, अब शेष बची चौरासी सीट पर भी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। इधर, कांग्रेस ने दौसा से दीनदयाल बैरवा, सलूंबर से रेशमा मीणा, झुंझुनूं से अमित ओला, रामगढ़ से आर्यन जुबेर खान, खींवसर से रतन चौधरी, देवली उनियारा से कस्तूर चंद मीना और चौरासी से महेश रोत को टिकट दिया है। इसके साथ ही सभी सीटों पर पूरी तरह तस्वीर साफ हो चुकी है।
इन सात सीटों पर तस्वीर साफ
1. दौसा विधानसभा सीट: यहां बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीना के भाई जगमोहन मीना और कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर पायलट का वर्चस्व है। वहीं, किरोड़ी मीना की सांख दांव पर है। बीजेपी नेता जगमोहन ने पिछले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में दावेदारी की थी। लेकिन पार्टी ने दोनों बार टिकट नहीं दिया। अब पूर्वी राजस्थान में पार्टी किरोड़ी मीना के प्रभाव का फायदा लेना चाहती है। इसलिए उनके भाई को उतारा गया है। भाजपा लगातार दो बार से यह सीट हार रही है। जगमोहन मीना रिटायर्ड आरएएस हैं और करीब दस साल से राजनीति में सक्रिय हैं। वहीं, कांग्रेस ने दौसा के पूर्व प्रधान रह चुके दीनदयाल बैरवा पर दांव खेला हैं। वर्तमान में उनकी पत्नी बीना बैरवा लवाण की प्रधान हैं। दीनदयाल पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। सचिन पायलट और मुरारीलाल मीना के नजदीकी हैं।
3. झुंझनूं विधानसभा सीट: यहां बीजेपी के राजेन्द्र भांबू और कांग्रेस के अमित ओला आमने-सामने है। झुंझुनूं सीट पर भाजपा राजेन्द्र भांबू की वजह से पिछले चुनाव में हार झेल चुकी है। भांबू पिछले चुनाव में टिकट कटने के बाद बागी हो गए थे। वहीं, कांग्रेस ने झुंझुनूं से अमित ओला को प्रत्याशी बनाया है। उनके दादा शीशराम ओला पांच बार सांसद व आठ बार विधायक रह चुके हैं। पिता बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं से लगातार चार बार विधायक व दो बार मंत्री रह चुके। विधानसभा चुनाव के लिए ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी मैदान में है।
4. रामगढ़ विधानसभा सीट: यहां बीजेपी के सुखवंत सिंह और कांग्रेस के आर्यन जुबेर खान के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। सुखवंत सिंह की वजह से भाजपा को पिछले चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी। ऐसे में अब बीजेपी ने उन पर विश्वास जताया है। वहीं, दिवंगत विधायक जुबेर खान के छोटे आर्यन जुबेर खान को कांग्रेस ने चुनावी रण में उतारा है। बीते 4 दशक से रामगढ़ की कांग्रेस की राजनीति में इस परिवार का दबदबा है।
5. खींवसर विधानसभा सीट: यहां बीजेपी के रेवतराम डांगा और कांग्रेस के डाॅ. रतन चौधरी के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। रेवतराम डांगा एक मात्र प्रत्याशी हैं, जिन पर बीजेपी ने लगातार दूसरी बार दांव खेला है। डांगा पिछली बार मात्र 2 हजार 59 वोटों से हनुमान बेनीवाल से हार गए थे। वहीं, कांग्रेस ने सेवानिवृत्त डीआईजी सवाईसिंह चौधरी की पत्नी डाॅ. रतन चौधरी को चुनावी रण में उतारा है।
6. देवली-उनियारा विधानसभा सीट: यहां बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर और कांग्रेस के कस्तूर चंद मीना के बीच मुकाबला है। भाजपा ने पिछले चुनाव में गुर्जर नेता किरोड़ी बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को टिकट दिया था। लेकिन, वे चुनाव हार गए थे। हालांकि, पार्टी ने यहां जीत के लिए जातिगत समीकरण को साधते हुए पूर्व विधायक राजेन्द्र को मौका दिया है। वहीं, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड में अधिकारी पद रहे कस्तूर चंद मीना पर कांग्रेस ने दांव खेला है।
7. चौरासी विधानसभा सीट: इस सीट पर बीजेपी के कारीलाल ननोमा और कांग्रेस के महेश रोत आमने-सामने होंगे। बीजेपी ने पूर्व मंत्री सुशील कटारा का टिकट काटकर चौरासी सीट से नए चेहरे को चुनावी रण में उतारा है। कारीलाल ननोमा सीमलवाड़ा पंचायत समिति के प्रधान हैं। वहीं, कांग्रेस ने महेश रोत को युवा चेहरे के तौर पर मौका दिया गया है। महेश रोत छात्र नेता रहे हैं, पहले NSUI और फिर यूथ कांग्रेस में रहे। महेश रोत सांसरपुर पंचायत से सरपंच हैं।
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चौरासी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
चौरासी सीट पर बाप और कांग्रेस पहले ही उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी है। लेकिन, बीजेपी ने इस सीट पर आखिरी में उम्मीदवार का ऐलान किया है। गुरुवार को बीजेपी की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक चौरासी विधानसभा सीट से कारीलाल ननोमा को चुनावी रण में उतारा गया है। इस सीट पर बीजेपी के कारीलाल ननोमा, बाप के अनिल कटारा और कांग्रेस के महेश रोत के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। हालांकि, इस क्षेत्र में बाप पार्टी का काफी दबदबा है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की राह आसान नहीं मानी जा रही है। यह भी पढ़ें