मंत्री पद से इस्तीफा देकर बैठे किरोड़ीलाल मीना के भाई जगमोहन को आखिरकार दौसा से टिकट दे दिया गया। सलूम्बर सीट पर पूर्व विधायक अमृतलाल मीना की पत्नी को टिकट दिया गया है। झुंझुनूं और रामगढ सीट पर पिछले चुनाव में जिनकी वजह से भाजपा हारी, इस बार उन्हीं बागियों को पार्टी ने बतौर प्रत्याशी उतार दिया। घोषित छह में से मात्र एक सीट पर ही भाजपा ने प्रत्याशी को दोहराया है। पांच सीटों पर नए चेहरे उतारे गए हैं।
कहां से कौन और क्यों बना प्रत्याशी
दौसा, जगमोहन मीना: जगमोहन ने पिछले विधानसभा चुनाव में और फिर लोकसभा चुनाव में भी दावेदारी की थी। हालांकि पार्टी ने दोनों बार टिकट नहीं दिया। पूर्वी राजस्थान में पार्टी किरोड़ी मीना के प्रभाव का फायदा लेना चाहती है। इसलिए उनके भाई को उतारा गया है। भाजपा लगातार दो बार से यह सीट हार रही है। जगमोहन को टिकट देकर पार्टी ने किरोड़ी को भी साधने की कोशिश की है। वे जून से ही सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। जगमोहन मीना रिटायर्ड आरएएस हैं और करीब दस साल से राजनीति में सक्रिय हैं। यह भी पढ़ें
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सलूम्बर, शांता देवी मीना: अमृतलाल मीना के निधन के बाद खाली हुई सलूम्बर सीट से उनकी पत्नी को उतारा गया है। वह सेमारी से दो बार सरपंच रह चुकी हैं। सेमारी को नगर पालिका का दर्जा मिला तो शांता देवी को नगर पालिका अध्यक्ष मनोनीत किया गया। ये वर्तमान में भी इसी पद पर हैं। पार्टी यहां सहानुभूति का सहारा लेकर चुनाव जीतना चाहती है। भाजपा इस सीट पर लगातार तीन बार से चुनाव जीत रही है। झुंझनूं, राजेन्द्र भांबू: झुंझुनूं सीट पर भाजपा राजेन्द्र भांबू की वजह से पिछले चुनाव में हार झेल चुकी है। भांबू पिछले चुनाव में टिकट कटने के बाद बागी हो गए थे। उन्होंने निर्दलीय के तौर पर 42 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। हालांकि भांबू इससे पहले 2018 में भाजपा के टिकट पर भी चुनाव हार चुके हैं। पार्टी ने स्थानीय स्तर पर फीडबैक लेने के बाद एक बार फिर भांबू पर ही भरोसा जताया है।
रामगढ़, सुखवंत सिंह: सुखवंत सिंह की वजह से भाजपा को पिछले चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी। आजाद समाज पार्टी के सिंबल पर सुखवंत के बगावत करने के कारण इस सीट पर भाजपा तीसरे नम्बर पर चली गई थी। भाजपा के फीडबैक में इन्हीं को सबसे मजबूत उम्मीदवार बताया गया था। सुखवंत को भी भाजपा ने 2018 के विस चुनाव में आजमाया था, लेकिन वह हार गए थे।
खींवसर, रेवतराम डांगा: रेवतराम डांगा एक मात्र प्रत्याशी हैं, जिन पर पार्टी ने लगातार दूसरी बार दांव खेला है। डांगा पिछली बार मात्र 2 हजार 59 वोटों से हनुमान बेनीवाल से हार गए थे। इस सीट पर 2013 के बाद यह सबसे कम अंतर की हार थी। ऐसे में भाजपा ने डांगा पर ही भरोसा जताया है।
देवली-उनियारा, राजेन्द्र गुर्जर: भाजपा ने पिछले चुनाव में गुर्जर नेता किरोड़ी बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को टिकट दिया था। वे चुनाव हार गए। पार्टी ने यहां जीत के लिए जातिगत समीकरण को साधते हुए पूर्व विधायक राजेन्द्र को फिर से मौका दिया है। हालांकि 2018 के चुनाव में भी राजेन्द्र पर भाजपा ने भरोसा जताया था, वे लेकिन हार गए थे।