बता दें, वसुन्धरा राजे को बीजेपी ने राजस्थान में उपचुनावों के लिए स्टार प्रचारक बनाया है, लेकिन पार्टी ने उन्हें अभी तक किसी भी सीट पर प्रचार के लिए नहीं भेजा है। बता दें, इससे पहले बीजेपी कोर कमेटी का सदस्य होने के बावजूद वसुंधरा राजे पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हुई थी।
वसुंधरा राजे उपचुनाव से दूर क्यों?
दरअसल, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे राजस्थान में होने वाले उपचुनाव से दूरी बनाए हुए है। इसको लेकर बीजेपी के नेता बार-बार सफाई भी दे रहे है। पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने सफाई दी। इसके बाद प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान सफाई दी है। दोनों ही नेताओं का कहा है कि वसुंधरा राजे नाराज नहीं है। पार्टी की वरिष्ठ नेता है। पार्टी में उनकी भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता है। यह भी पढ़ें
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इसको लेकर बीजेपी राजस्थान के प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल का कहना है कि उपचुनाव में सिर्फ स्थानीय नेता प्रचार करते हैं, वसुंधरा राजे जी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है, वो प्रचार क्यों करेगी। राधामोहन दास ने कहा कि मैं बीजेपी का महामंत्री हूं और वसुंधरा राजे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। वसुंधरा राजे पद के लिहाज से मुझसे ऊपर हैं। चुनाव प्रचार के लिए जब खुद मैं ही नहीं जा रहा हूं तो मुझसे सीनियर कैसे जाएगा? उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी उपचुनावों को हमेशा प्रत्यक्ष रूप से स्थानीय चुनाव मानती है। इसलिए वो प्रचार नहीं करेंगी। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल की बार-बार सफाई से जाहिर होता है कि बीजेपी में अंदरूनी हालत ठीक नहीं है। राधामोहन दास अग्रवाल के बयान को सूबे की सियासत में वसुंधरा युग के अवसान से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, खुद वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।
राजेंद्र राठौड़ को भी रखा दूर
इधर, विधानसभा उपचुनाव के लिए पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को कुछ सीटों पर प्रचार से दूर रखने की खबर आ रही है। दूसरी तरफ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी प्रचार के लिए दौरे कर रहे हैं, लेकिन उनको भी सभी सीटों पर प्रचार से दूर रखा जा है। उल्लेखनीय है कि राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया को राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे का धुर विरोधी माना जाता है। गौरतलब है कि वसुंधरा राजे को चुनावों से पहली बार ही दूर नहीं रखा गया है, इससे पहले लोकसभा चुनाव के वक्त भी उन्हें केवल अपने बेटे की सीट बांरा-झालवाड़ तक ही सीमित रखा गया था। इसके इतर विधानसभा चुनाव के समय राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे सबसे ज्यादा सीटों पर सभाएं करने वाली नेता थीं, उन्होंने करीब 40 से ज्यादा सीटों पर प्रचार किया था।