जयपुर

Rajasthan By-election : कांग्रेस के 15 से ज्यादा विभाग-प्रकोष्ठ हैं भंग, उपचुनाव में कैसे जमेगा चुनावी रंग

Rajasthan By-election : राजस्थान कांग्रेस के 15 से ज्यादा विभाग-प्रकोष्ठ 4 साल से भंग हैं। बावजूद इसके कांग्रेस उपचुनाव लड़ेगी। संगठन की मजबूती के बगैर कैसे जमेगा चुनावी रंग।

जयपुरOct 19, 2024 / 12:44 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan By-election : संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किए बगैर ही कांग्रेस एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। प्रदेश कांग्रेस में 15 से ज्यादा विभाग-प्रकोष्ठ 4 साल से भंग हैं। वहीं, महिला कांग्रेस और एनएसयूआई भी 10 माह से भंग है। इनमें जिले और प्रदेश स्तर पर अभी तक नई नियुक्तियां नहीं की गई हैं, जिसके चलते दोनों ही अग्रिम संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं को उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार की जिम्मेदारी भी नहीं दी गई है। सबसे ज्यादा हैरत तो विभाग-प्रकोष्ठों को लेकर हैं जो 14 जुलाई 2020 से भंग हैं। इनमें अभी तक केवल ओबीसी और सोशल मीडिया विभाग में ही प्रदेशाध्यक्षों और कार्यकारिणी की नियुक्ति हो पाई है। हाल ही किसान कांग्रेस और एससी विभाग में कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए।

हरियाणा की हार से नहीं लिया सबक

चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार से भी सबक नहीं लिया है। हरियाणा में ग्रास रूट पर संगठन काफी कमजोर रहा। वहां लंबे समय से संगठनात्मक नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। हरियाणा की हार का एक कारण यह भी बताया गया।
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ये विभाग और प्रकोष्ठ भंग

एससी-एसटी विभाग, अल्पसंयक विभाग, विधि विभाग, असंगठित मजदूर कांग्रेस, अभाव अभियोग, कच्ची बस्ती, खादी ग्रामोद्योग, शिक्षक प्रकोष्ठ, नि:शक्तजन, खेलकूद, पर्यावरण प्रकोष्ठ, घुमंतू अर्ध घुमंतू प्रकोष्ठ भंग हैं।

प्रक्रिया चालू है…

प्रक्रिया चालू है, कुछ विभागों में दिल्ली से नियुक्तियां होती हैं। हमने नाम भेजे हुए हैं, जल्द ही विभाग-प्रकोष्ठों में नियुक्तियां कर देंगे।
स्वर्णिम चतुर्वेदी, प्रवक्ता, प्रदेश कांग्रेस

इधर, भाजपा में युवा मोर्चा की नई टीम नहीं

भाजपा में 19 प्रकोष्ठ, 7 मोर्चा और 28 विभाग हैं। इनमें केवल युवा मोर्चा को छोड़कर सभी की टीम बनी हुई है। टीम को सातों विधानसभा क्षेत्रों में काम करने का प्लान सौंपा गया है। केवल युवा मोर्चा की नई कार्यकारिणी नहीं बन पाई है। पिछले दिनों कार्यकारिणी की सूची जारी हुई थी, लेकिन विवाद होने पर सूची वापस लेनी पड़ी। तब से नए सिरे से सूची जारी नहीं की जा सकी। मामला केन्द्रीय संगठन तक पहुंचा। चुनाव में अन्य की तुलना में युवा मोर्चा ज्यादा सक्रिय रहता आया है। हालांकि, कुछ प्रकोष्ठों को छोड़कर ज्यादातर प्रकोष्ठ की टीम भी अब तक सक्रिय भूमिका में नजर नहीं आ पाई है।
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